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61 साल पुराना यूजीसी खत्म करेगी मोदी सरकार, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 7 जुलाई तक मांगे सुझाव

मोदी सरकार शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए पुरानी नीतियों में बड़ा बदलाव करने जा रही है. केंद्र सरकार यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (UGC) और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AIECTE) को खत्म कर हॉयर एजुकेशन के लिए एक नियामक बनाएगी. इस नए नियामक को उच्च शिक्षा आयोग नाम देने की तैयारी है. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस पर 7 जुलाई तक सुझाव मांगे हैं.

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  • June 27, 2018 9:00 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. मानव संसाधन विकास मंत्रालय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को उच्च शिक्षा आयोग से रिप्लेस करने पर तेजी से काम कर रहा है. एमएचआरडी मिनिस्ट्री ने बुधवार को यूजीसी एक्ट 1951 को समाप्त करने की घोषणा करते हुए इसके स्थान पर उच्च शिक्षा आयोग का गठन करने की बात कही है. सरकार इस कदम पर मार्च से ही काम कर रही है जिससे 61 साल पुराना यूजीसी एक्ट खत्म हो जाएगा. मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने स्टेकहोल्डर्स से इस एक्ट पर 7 जुलाई 2018 तक उनकी सिफारिशें मांगी हैं.

यूजीसी और एआईसीटीसी को हटाकर एक सिंगल रेग्यूलेटर लाने की पहल को सबसे क्लीन और बड़ा रिफॉर्म बताया जा रहा है. यूपीए सरकार में यशपाल समिति, हरी गौतम समिति ने भी यूजीसी को खत्म करने की सिफारिश की थी जिसे कभी अमल में नहीं लाया जा सका. यह बिल हायर एजुकेशन रेग्यूलेटरी काउंसिल (एचईआरसी) नाम से तैयार किया गया है जिसे मानसून सत्र में संसद में पेश किया जाएगा.

इस बिल के कानून बन जाने के बाद देशभर में उच्च शिक्षा के लिए बने आयोग और परिषद खत्म हो जाएंगे. इसका काम एक गाइड की तरह होगा जो देश के तमाम विश्वविद्यालयों और संस्थानों को सुझाव देगा जिनमें नए कोर्स शुरू करने संबंधी सुझाव भी शामिल होंगे. इसमें सबसे बड़ा मुद्दा अनुदान का रहेगा. यह आयोग किसी भी तकनीकी संस्थान अथवा विश्वविद्यालय को अनुदान नहीं दे सकेगा. अनुदान के लिए सिर्फ एचआरडी मंत्रालय ही सिफारिश कर सकेगा.

हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया बिल में साफ नहीं हो पाया है कि राज्य सरकार के अधीन आने वाले विश्वविद्यालय और बीएड कराने वाले शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान भी इसके दायरे में आएंगे या नहीं. यह रेग्यूलेटर शोध और पढ़ाई के मानक तय करने के अलावा सभी तकनीकी शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों की परफॉर्मेंस का अध्ययन करेगा. अगर कोई संस्थान या विवि गुणवत्ता नहीं दे पाया तो उसमें छात्रों के एडमिशन पर रोक भी लगा सकता है. इस बिल के जरिए संस्थानों और विश्वविद्यालयों को ज्यादा स्वायत्ता देने की बात कही जा रही है. 

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