नई दिल्ली. भारत में अमेरिकी राजदूत की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा पर चीन ने कड़ा ऐतराज जताया है. चीन ने सोमवार को कहा है कि भारत-चीन सीमा विवाद में अमेरिका का कोई हस्तक्षेप न करे, नहीं तो इस सीमा विवाद के विषय को और जटिल बना देगा.
साथ ही भारत-चीन सीमा पर कड़े परिश्रम से प्राप्त हुई शांति को बाधित करेगा. बता दें कि चीन हमेशा से अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत बताकर उस पर अपना दावा करता है.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने अमेरिका को भारत-चीन सीमा विवाद से दूरी बनाने की सलाह दी है. उन्होंने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि नई दिल्ली और बीजिंग के बीच में किसी तीसरे के दखल से यह मामला सुलझेगा नहीं, बल्कि उलझेगा ही. चीन इस यात्रा का पुरजोर तरीके से खिलाफ है. अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा 22 अक्टूबर को अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू के निमंत्रण पर वहां गए हुए थे.
चीन ने रिचर्ड की यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि अमेरिकी राजदूत ने एक विवादित क्षेत्र का दौरा किया है. हमने इस बात का संज्ञान में लिया है कि अमेरिका के राजनयिक अधिकारी ने जिस जगह का दौरा किया है वह भारत और चीन के बीच का विवादित क्षेत्र है.
चीन, अरुणाचल प्रदेश को हमेशा दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता रहा है. इस इलाके में विदेशी अधिकारियों, भारतीय नेताओं और दलाई लामा की यात्रा का हमेशा विरोध करता है. चीन के विदेश मंत्रालय ने इस बात का समाधान निकालने के लिए भारत-चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की अगुवाई वाली स्पेशल प्रतिनिधियों की सिस्टम का जिक्र किया.
ली ने कहा कि भारत-चीन सीमा के पूर्वी क्षेत्र को लेकर चीन की स्थिति बहुत साफ है और एक जैसी है. दोनों देश परामर्श और बातचीत के माध्यम से क्षेत्रीय विवादों को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं. दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों ने 3488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए 19वें दौर की वार्ता की थी.
बता दें कि चीन अरुणाचल प्रदेश को हमेशा दक्षिणी तिब्बत कहता है. वहीं भारत का अकसाई चीन को लेकर विवाद है. जिस पर चीन ने 1962 की जंग के दौरान कब्जा कर लिया था. लू ने कहा है कि किसी भी तीसरे पक्ष को जिम्मेदारी की भावना के साथ शांति, अमन और सुलह के लिए भारत और चीन के प्रयासों का सम्मान करना चाहिए.