दाने दाने के लिए मोहताज पीएम मोदी की 'चाची' ने आजीविका के लिए मुख्य सूचना आयुक्त का दरवाजा खटखटाया है. दरअसल ये महिला आरटीआई के जवाब से संतुष्ट नहीं थीं.
भोपाल. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंटी होने का दावा करने वाली 90 साल की महिला ने उनकी आरटीआई का श्रम मंत्रालय से संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं मिलने के बाद अपीलीय प्राधिकारी का दरवाजा खटखटाया है. अपने आरटीआई में महिला ने उनके परिसर में चल रही सरकारी डिस्पेंसरी के पट्टे के नवीनीकरण का विवरण मांगा है.
पिछले सप्ताह सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु के यहां सुनवाई से पहले महिला दहिबेन नरोत्तमदास मोदी ने अपने प्रतिनिधि ईश्वर लाल मोदी को भेजा था. जिन्होंने बताया कि 11 अप्रैल, 1983 को महिला का परिसर 600 रुपये प्रति माह की दर से सरकारी डिस्पेंसरी के लिए किराए पर लिया गया था. यह गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर में अपने परिसर में बीड़ी श्रमिक कल्याण कोष (बीडब्ल्यूडब्ल्यूएफ) औषधि चलाने के लिए दिया गया था.
उन्होंने केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के समक्ष कहा कि 1983 में 15 साल के लिए इसे 600 रुपए पर किराए पर लिया गया था. जिसका नवीनीकरण 1998 में कर दिया गया था और किराया 600 रुपए से बढ़ाकर 1500 रुपए कर दिया गया था. लेकिन उसके बाद किराया नहीं बढ़ाया गया है.
बता दें कि दाहिबेन ने पिछले साल दिसंबर में एक आरटीआई आवेदन दायर किया था जिसमें उसने किराया तय करने के लिए लीज, नवीनीकरण, मानदंडों के विवरण, हर पांच साल में अपने पट्टे को नवीनीकृत नहीं करने के कारणों और क्या विभाग पट्टे पर भुगतान करने के लिए तैयार था आदि की जानकारी मांगी थी. लेकिन श्रम विभाग से कोई संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं मिलने के कारण महिला ने प्रथम अपील कीथी. जिसके कोई जवाब नहीं मिलने के कारण उन्होंने केंद्रीय सूचना आयुक्त के यहां अपील की.
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