नई दिल्ली. सीबीएसई की 10वीं में बोर्ड परीक्षा फिर से अनिवार्य हो सकती है. इसके लिए 25 अक्टुबर को केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक होगी जिसमें इसके बारे में प्रस्ताव लाया जाएगा. बता दें कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय इस बारे में जानना चाहता है कि इसमें राज्यों कि क्या राय है. अभी तक सिर्फ सीबीएसई में ही दसवीं की परीक्षा वैकल्पिक है, किसी भी राज्य बोर्ड में यह परीक्षा वैकल्पिक नहीं है.
बता दें कि सीबीएसई में दसवीं में दो स्तरों पर परीक्षाएं होती हैं. पहले स्तर की परीक्षा ऐसे छात्र देते हैं, जो दसवीं के बाद 12वीं भी सीबीएसई बोर्ड से करते हैं ऐसे छात्र बोर्ड परीक्षा को पसंद करते हैं और चाहते हैं कि बोर्ड परीक्षा हो. दूसरे स्तर के छात्र दसवीं में होम बोर्ड लेते हैं और दसवीं के बाद दूसरे बोर्ड से पढाई करते हैं.
जब कपिल सिब्बल मानव संसाधन विकास मंत्री थे तब उन्होंने दसवीं की बोर्ड परीक्षा को वैकल्पिक बना दिया था. इस समय सीबीएसई की दसवीं में केवल तीस प्रतिशत छात्र ही बोर्ड की परीक्षा देते हैं और 70 फीसदी छात्र बोर्ड की परीक्षा नहीं देते हैं.
शिक्षा में सुधार के लिए कई जरुरी विषयों पर भी होने वाली बैठक में चर्चा हो सकती है. इसमें शिक्षा के अधिकार कानून को प्री-प्राइमरी तक विस्तारित करने का प्रस्ताव भी शामिल है. एक और प्रस्ताव जिसपर चर्चा हो सकती है वह यह है कि गांवों में जितने भी आंगनवाड़ी केंद्र हैं सभी स्कूलों के पास रहें. इससे यह फायदा होगा की आंगनवाणी केंद्र प्री- स्कूलिंग केंद्र के रुप में विकसित हो जाएंगे.
बता दें कि पहले सरकार ने 10वीं बोर्ड परीक्षा अनिवार्य बनाने से इनकार किया था. सरकार ने कहा था कि परीक्षा के वैकल्पिक होने से शिक्षा की गुणवत्ता पर कोई खराब प्रभाव नहीं पड़ेगा.