इस्लामाबाद. भारत की सिंधु नदी जल संधि तोड़ने की धमकी से पाकिस्तान घबरा गया है. पाकिस्तान ने कहा है कि भारत संधि को इस तरह नहीं तोड़ सकता वरना पाकिस्तान भी उचित कार्रवाई करेगा. बता दें कि कि उरी सेक्टर में आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने पीओके में सर्जिकल ऑपरेशन किया था और वहां कई आतंकियों को भी मार गिराया था. साथ ही भारत सरकार ने सिंधु नदी जल संधि को तोड़ने की बात भी कही थी.
पाकिस्तान ने गुरुवार को कहा कि अगर भारत सिंधु नदी जल संधि पर कोई फैसला करेगा तो पाकिस्तान भी उचित से उचित कार्रवाई करेगा. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने कहा है कि नवाज सरकार इस मामले पर नजर बनाए हुए है. अगर सिंधु संधि को लेकर कोई व्यवधान आता है तो पाकिस्तान भी कार्रवाई करेगा. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का ध्यान कश्मीर से हटाना चाहता है.
जकारिया ने कहा कि भारत का पाकिस्तान को अलग-थलग करने का प्रयास बिल्कुल बेतुका है. भारत ने SAARC संगठन का इस्तेमाल अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा के लिए ही किया है. जकारिया ने साथ ही ये भी कहा कि भारत का व्यवहार पाकिस्तानी कलाकारों के साथ बेहद निराशाजनक और खेदप्रद है.
क्या है सिंधु जल समझौता ?
सिंधु जल समझौता (Indus Water Treaty) 1960 में हुआ था. इस पर वर्तमान पीएम जवाहर लाल नेहरू और पाक पीएम अयूब खान ने दस्तखत किए थे. इस समझौते के तहत छह नदियों- झेलम, रावी, सिंधु, ब्यास, चेनाब और सतलज का पानी भारत और पाकिस्तान को मिलता है. पाकिस्तान हमेशा आरोप लगाता रहा है कि भारत उसे समझौते की शर्तों से कम पानी देता है. पाकिस्तान दो बार इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल में शिकायत भी कर चुका है.
सिंधु नदी संधि को विश्व के इतिहास का सबसे उदार जल बंटवारा माना जाता है. इस संधि के तहत पाकिस्तान को 80.52 प्रतिशत पानी यानी 167.2 अरब घन मीटर पानी सालाना दिया जाता है. 1960 में हुए सिंधु नदी संधि के तहत उत्तर और दक्षिण को बांटने वाली एक रेखा तय की गई है, जिसके तहत सिंधु क्षेत्र में आने वाली तीन नदियों का नियंत्रण भारत और तीन का पाकिस्तान को दिया गया है. 2011 में अमेरिकी सीनेट की फॉरेन रिलेशन कमेटी के लिए तैयार की गई रिपोर्ट में सिंधु जल संधि को दुनिया की सबसे सफल जल संधि बताया गया था.