नई दिल्ली. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने अब श्रीमद् भगवद् गीता को नेट (राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा) परीक्षा में शामिल करने का फैसला किया है. यूजीसी का मानना है इससे दुनिया भर में गीता को पढ़ने वाले और समझने वालों को बढ़ावा दिया जा सकेगा.
यूजीसी के इस फैसले के पीछे दुनिया भर में योग की बढ़ती लोकप्रियता भी एक वजह बताई जा रही है. नेट में शामिल योग के पाठ्यक्रम में ही गीता की पढ़ाई होगी. आयोग का मानना है कि इससे शिक्षकों की कमी को भी दूर किया जा सकेगा.
यूजीसी ने इसको लेकर नया सिलेबस भी जारी कर दिया है. जिसमें गीता और योग को काफी विस्तार से पढ़ाने की योजना है. सिलेबस के मुताबिक एक पूरा पाठ गीता का ही शामिल किया गया है और बाकी में योग के बारे में बताया गया है.
आपको बता दें कि योग को लेकर पहले भी कई तरह की आपत्तियां की जा चुकी हैं. गैर हिंदू धर्म से जुड़े संगठनों का मानना है कि योग के पीछे सरकार की भगवाकरण की मानसिकता छिपी हुई है.
वहीं कई भाजपा सरकारों की ओर से स्कूल में योग करवाने के फैसले का भी विरोध किया जा चुका है. अब देखने वाली बात यह होगी कि नेट की परीक्षा में योग को शामिल करने के फैसले पर विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया आती है.
कैसा है पाठ्यक्रम
इस पाठ्यक्रम को कई हिस्सों में बांटा गया है. जिसके दूसरे हिस्से में योग का मूल साहित्य रखा गया है. खास बात यह है कि इसमें दसों उपनिषद और एक वेद को भी शामिल है. एक पूरा पाठ श्रीमद भगवत गीता के लिए है.