गोवा. गोवा में ब्रिक्स सम्मेलन के साझा घोषणापत्र में चीन की वजह से जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों का जिक्र नहीं किया गया है. इतना नहीं सीमा पार के आतंकवाद को भी तवज्जो नहीं दी गई.
समूह के बाकी देशों की सहमति के बावजूद भी चीन अपने पुराने रुख से टस से मस नहीं हुआ. हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार इस सम्मेलन के दौरान सीमा पार से आतंकवाद और आतंकी संगठनों को सबक सिखाने के लिए ब्रिक्स समूह को संबोधित किया और उम्मीद की जा रही थी कि ब्रिक्स के साझा घोषणापत्र में इस बार इन मुद्दों को रखा जाएगा.
लेकिन चीन ने पाकिस्तान के खिलाफ नरम रुख अपनाए रखा. इतना ही नहीं पीएम मोदी ने सम्मेलन के इतर भी चीनी राष्ट्रपति शी-शिनपिंग से मुलाकात कर आतंकवाद के कई सबूत दिए फिर भी चीन ने इस पर कोई भी आश्वासन नहीं दिया. हालांकि अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों जैसे इस्लामिक स्टेट, जबात-अल-नुस्र का जिक्र इस घोषणापत्र में दिया गया है.
वहीं ब्रिक्स में सभी देशों ने उरी में हुए हमले की निंदा और ब्राजील ने सर्जिकल स्ट्राइक पर भी भारत का समर्थन किया. इस कार्रवाई का समर्थन रूस पहले ही कर चुका है. फिलहाल अब यह साफ हो गया है कि चीन आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का शायद ही खुलकर कभी साथ दे.
क्योंकिन चीन की समूची अर्थव्यलस्था की उम्मीद बलूचिस्तान-गिलगित के रास्ते बन रहे आर्थिक कॉरीडोर पर निर्भर है. इसके लिए उसे पाकिस्तान के साथ की जरूरत है. अब देखने वाली बात यह होगी कि भारत अब चीन को लेकर अपनी नीति में क्या परिवर्तन लाता है.