नई दिल्ली. पाकिस्तान में फौज की ताकत जनरल के हाथ में होती है. इस आर्मी चीफ जनरल के अंडर में 6.50 लाख हथियारबंद फौजी और 5 लाख हथियारबंद रिजर्व फौजी होते हैं. ये जनरल पीएम के हुक्म की नाफरमानी तक कर देते हैं . साथ ही ISI और परमाणु बम का रिमोट भी आर्मी चीफ के पास होता है.
पाकिस्तान में सेना खुद को हुकूमत और मुल्क से बड़ा मानती है. जनरल जब चाहता है तब जम्हूरियत को उखाड़ फेंकने की ताकत रखता है. यह स्थिती फिर से पाकिस्तान में आ गई है, भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पकिस्तान के हालात ऐसे हैं कि लोग सड़कों पर उतर गए हैं. कभी भी सेना पुरे मुल्क पर अपना अधिकार जमा सकती है.
नवाज़ शरीफ के सरकार पर विपक्ष पुरे तरीके से हावी
नवाज़ शरीफ के सरकार पर विपक्ष पुरे तरीके से हावी है. साथ ही ये खबर आ रही है कि प्रमुख जनरल राहील शरीफ और नवाज़ शरीफ के बीच मतभेद हो गए हैं. इसके बावजूद नवाज़ शरीफ पाकिस्तान के मर्ज़ का इलाज ढूंढने के बजाये UN में कश्मीर राग अलाप रहे है.
आपको बता दें कि पाकिस्तान के इतिहास में तख्ता पलट की कहानी कोई नई बात नहीं है. पकिस्तान के हालात ऐसे हैं कि वहां कोई भी सरकार अपनी मजबूत पकड़ नहीं बना पाई है. पाकिस्तान के हालात ऐसे हैं कि ‘ उधर जरा सी गड़बड़ और इधर सरकार की ऐसी-तैसी.’ पहले भी हो चूका है नवाज़ का तख्ता पलट.
पहले भी हो चुका है तख्ता पलट
सन् 1958 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने पाकिस्तान के संविधान को निराकृत कर मार्शल लॉ की घोषणा की उसके बाद फिल्ड मार्शल अयूब खान ने पाकिस्तान में तख्ता पलट कर पकिस्तान के सत्ता को हथिया लिया था. ऐसा क्यों हुआ था इसकी सच्चाई तो आज तक किसी के सामने नहीं आई लेकिन ऐसा माना जाता है कि ऐसा तत्कालीन सरकार और सेना के विपरीत विचारधारा के कारण हुआ था. उस वक़्त जनरल अयूब खान पाकिस्तान के सेना प्रमुख थे.