पटना. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत दूसरे मुस्लिम संगठन भले ‘तीन तलाक’ को लेकर मुकदमे में उलझे हैं लेकिन पटना के आरिफ के लिए प्यार का रिश्ता सबसे ऊपर है तभी तो रिसेप्शन की रात वो अपनी नई नवेली बेगम को लेकर उसके पहले पति आरिफ के हवाले कर दिया. मोहब्बत की ये खबर पढ़कर किसी की भी आखें छलक जाएंगी.
कहानी बिहार की राजधानी पटना के फुलवारीशरीफ इलाके की है. इस मोहल्ले का जावेद एमबीए की पढ़ाई कर रहा था और पढ़ाई के दौरान ही जुनैदा (काल्पनिक नाम) नाम की एक लड़की को दिल दे बैठा. फिर क्या था, जुनैदा ने भी जावेद का दिल और हाथ थाम लिया. बात आगे बढ़ी और मोहब्बत की कहानी में सितम की एंट्री हो गई.
ये बस खबर भर नहीं है, पुराने जमाने की बॉलीवुड फिल्मों जैसी स्क्रिप्ट है
मोहब्बत और निकाह की इस कहानी में झोल तब आया जब जावेद पढ़ाई के बाद नौकरी करने के लिए विदेश चला गया क्योंकि उसे वहां मोटी तनख्वाह पर अच्छी नौकरी मिल गई थी. जावेद के विदेश जाने के बाद जुनैदा के घर में निकाह की भनक लग गई और जुनैदा ने भी घर वालों के पूछने पर सब कुछ सच-सच बता दिया.
जुनैदा के घर वालों को पता नहीं क्यों, जावेद के साथ उसका रिश्ता मंजूर नहीं हुआ. फिर शुरू हुआ पुराने जमाने की हिन्दी फिल्मों की तरह का जुल्म और सितम. जुनैदा का मोबाइल फोन छीन कर उसे घर में ही कैद कर दिया गया और कुछ दिन बाद गांव ले जाकर उसका निकाह बिरादरी के ही एक लड़के आरिफ से तय कर दी गई.
बेटी को मारकर फेंक देंगे पर मोहब्बत का मिलन ना होने देंगे
उधर जुनैदा का मोबाइल जब्त होने के कारण जावेद जब बात तक नहीं कर पा रहा था तो उसने अपने घर वालों को जुनैदा के घर भेजा. जुनैदा के घर वालों ने जावेद के परिवार वालों से जुनैदा को मिलने तक नहीं दिया और उन्हें ये कहकर बैरंग लौटा दिया कि वो जुनैदा को मार कर फेंक देंगे लेकिन जावेद से शादी नहीं मानेंगे.
जावेद के घर वालों ने जुनैदा के परिवार को यकीन दिलाया कि दोनों ने इस्लाकमिक तौर-तरीके से निकाह किया है और दोनों के निकाह के कागजात भी दिखाए लेकिन जुनैदा के घर वाले नहीं माने. बात पंचायत तक पहुंची लेकिन वहां से भी जावेद को अपनी बीवी जुनैदा वापस नहीं मिल सकी.
अपने घर में दूसरी शादी की तैयारी से तनाव में चल रही जुनैदा मौका पाकर घर से भागकर जावेद के घर चली गई. जावेद विदेश में ही था लेकिन उसके घर वालों ने जुनैदा को पूरे सम्मान के साथ रखा. अगले ही दिन जुनैदा के घर वाले वहां पहुंच गए और जावेद के घर वालों से ये कहकर उसे अपने साथ ले गए कि अच्छा मुहुर्त देखकर जुनैदा को विदा कर देंगे.
धोखा और झांसा भी है इस कहानी में लेकिन प्यार वाली नहीं, नफरत वाली
जावेद के घर वालों को लगा कि ये तो मांगी मुराद पूरी होने जैसा है इसलिए उन्होंने जुनैदा को उसके घर वालों के साथ वापस भेज दिया. लेकिन जुनैदा के घर वालों के मन में तो कुछ और ही प्लान चल रहा था. जुनैदा को वापस घर में ले जाकर कैद कर दिया गया. पहरा कड़ा कर दिया गया. निकाह की तारीख तय कर दी गई.
जुनैदा को घर वालों के दबाव में आरिफ के साथ निकाह करना पड़ा और फिर वो विदा होकर ससुराल चली गई. सुहागरात को जुनैदा ने आरिफ को जावेद के साथ अपने रिश्ते की सारी कहानी सुना दी. पेशे से इंजीनियर आरिफ भी शरीयत के जानकार हैं इसलिए उन्होंने मान लिया कि जुनैदा से उनका निकाह शरीयत के मुताबिक हुआ ही नहीं.
फिर जो काम जुनैदा के मां-बाप नहीं कर सके वो काम आरिफ ने कर दिखाया. आरिफ ने जुनैदा से कहा कि वो बिल्कुल चिंता न करे, जावेद से मिलाना अब उसका काम है. आरिफ ने रात में ही विदेश में रह रहे जावेद को फोन लगाया और अगले दिन की फ्लाइट पकड़कर पटना आने कहा.
वलीमा की दावत छोड़कर आरिफ ने बीवी जुनैदा का हाथ जावेद के हाथ में थमाया
वो आरिफ की शादी की तीसरी शाम थी जिस दिन घर पर निकाह की खुशी में रिसेप्शन यानी वलीमा रखा गया था. आरिफ ने उसे टालने की कोशिश की लेकिन घर वालों से खुलकर कुछ बता नहीं पाया इसलिए वो टल नहीं सका. जावेद वलीमा वाले दिन ही पटना पहुंच गया और आरिफ को खबर भिजवा दी कि वो आ गया है.
वलीमा के लिए घर वाले सज रहे थे और मेहमानों का आना शुरू हो चुका था लेकिन आरिफ ने कुछ बहाना बनाया और अपनी बेगम जुनैदा को लेकर निकल गया. जुनैदा को लेकर आरिफ सीधे जावेद के पास गया और उन्हें उनकी अमानत सौंप कर घर लौट आया.
वलीमा की दावत को सजे घर में आरिफ अकेले लौटा और फिर घर वालों को जुनैदा की सारी सच्चाई बता दी. आरिफ के घर वालों ने जुनैदा के मां-बाप को बेटी की मर्जी के खिलाफ निकाह कराने के लिए खूब कोसा.
जुनैदा से निकाह की खुशी में दी गई दावत में ही आरिफ को मिलीं दूसरी बेगम और हो गया निकाह
घर में दावत की तैयारी हो चुकी थी और आरिफ के घर वाले बेटे के साहसिक फैसले को अपने घर में मातम या दुख का सबब नहीं बनने देना चाहते थे इसलिए दावत में शामिल होने आई आरिफ की ही एक दूर की रिश्तेदार और आरिफ की रजामंदी से दोनों का निकाह उसी दावत में करा दिया गया.
जावेद के घर वालों ने जुनैदा को अपने घर लाने की तमाम सामाजिक कोशिश फेल हो जाने के बाद पीरबाहोर और फुलवारीशरीफ थाना तक का चक्केर लगाया था मगर कोई उन्हें उनकी बहू नहीं दिला सका.
ये आरिफ की इनायत थी कि जुनैदा और जावेद के मिलने के सारे दरवाजे जब बंद हो चुके थे तब उसने आगे बढ़कर परंपरा और लोग क्या कहेंगे जैसी दीवार को गिरा दिया.