सुप्रीम कोर्ट ने आज प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे कहा कि केंद्र सरकार चाहे तो इस मामले का संवैधानिक पीठ में निपटारा होने तक कानून के अनुसार अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति कर्मचारी को प्रमोशन में आरक्षण का लाभ दे सकती है.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति कर्मचारी के लिए प्रमोशन में आरक्षण मामले में अहम टिप्पणी दी है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा है कि वो चाहे तो जब तक इस मामले का जब तक संविधान पीठ में निपटारा नहीं हो जाता है, तब तक कानून के अनुसार एससी/एसटी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण का लाभ दे सकती है. सरकार की ओर से अतिरिक्त सलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कमर्चारियों को प्रमोशन देना सरकार की जिम्मेदारी है.
प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुनवाई के दौरान मंगलवार को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने सरकार का पक्ष रखा. इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग कोर्ट के कुछ फैसलों के चलते कर्मचारियों को प्रमोशन में दिक्कत आने की बात उठाई. मनिंदर सिंह ने कहा कि कई अदालतों के फैसलों के चलते कर्मचारियों का प्रमोशन रुका हुआ है. मनिंदर सिंह ने पदोन्नति में आरक्षण पर कोर्ट में चल रही कार्रवाई पर भी बात रखी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक प्रमोशन में आरक्षण पर संविधान पीठ कोई आखिरी फैसला नहीं दे देती, तब तक केंद्र सरकार कानून के मुताबिक एससी/ एसटी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण दे सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को जरनैल सिंह बनाम लक्ष्मीनारायण गुप्ता केस में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के फैसला को पलट दिया है. बता दें कि हाल ही में कई न्यायिक फैसलों के चलते प्रमोशन में आरक्षण को लेकर रोक लग गई थी.
आपको बता दें कि बता दें कि कार्मिक विभाग ने 30 सितंबर 2016 को एससी/एसटी कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण पर रोक लगा दी थी, तब से प्रमोशन को लेकर कर्मचारी परेशान थे.
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