फीफा वर्ल्डकप 2018: 50वें और 60वें दशक की बात करें तो वो भारतीय फुटबॉल का गोल्डन पीरियड कहा जाता है और इसी कड़ी में साल 1950 भारतीय फुटबॉल इतिहास का सबसे यादगार पल था. इस साल ब्राजील में फीफा वर्ल्डल कप आयोजित किया गया था. दुनियाभर की तमाम टीमों को फुटबॉल के इस महाकुंभ में हिस्साव लेने का न्यौ ता भेजा गया,
नई दिल्ली. 14 जून से शुरू होने वाले फीफा वर्ल्डकप के लिए सभी टीम तैयार है, टूर्नामेंट के मेजबान रूस भी अपनी पूरी तैयारी कर चुका है. फीफा वर्ल्ड कप का 21वां संस्करण रूस में आयोजित हो रहा है. इसका फाइनल 15 जुलाई को खेला जाएगा. टूर्नामेंट का पहला मुकाबला, सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबला मॉस्को के लुजनिकी स्टेडियम में खेले जाएंगे. इस स्टेडियम में लगभग 80 हजार लोगों के बैठने की जगह है. लगभग एक महीन तक चलने वाले इस टूर्नामेंट में 32 टीमें हिस्सा लेंगी जो रूस के 11 शहरों के 12 स्टेडियम में 64 मैच खेलेंगी. लेकिन क्या आपको पता है कि टीम इंडिया भी दुनिया के इस लोकप्रिय टूर्नामेंट के लिए क्वालिफायर कर चुकी है.
भारतीय फुटबॉल टीम की हालत इस समय कैसी है, यह हम सभी जानते हैं, फीफा रैंकिंग में हमारा 102वां नंबर है, लेकिन क्या आपको पता है कि भारत फुटबॉल हमेशा से इतना पिछड़ा नहीं था. एक समय भारतीय टीम को फीफा की दुनिया की मजबूत टीम माना जाता था. 50वें और 60वें दशक की बात करें तो वो भारतीय फुटबॉल का गोल्डन पीरियड कहा जाता है और इसी कड़ी में साल 1950 भारतीय फुटबॉल इतिहास का सबसे यादगार पल था. इस साल ब्राजील में फीफा वर्ल्ड कप आयोजित किया गया था. दुनियाभर की तमाम टीमों को फुटबॉल के इस महाकुंभ में हिस्सा लेने का न्यौता भेजा गया.
भारत के लिए ये बात इसलिए भी बड़ी थी क्योंकि पूरे एशिया से सिर्फ 4 देशों को क्वॉलीफाई राउंड में जाना था. इसमें बर्मा, इंडोनेशिया, फिलीपींस और भारत का नाम था लेकिन टूर्नामेंट से ठीक पहले भारत को छोड़ अन्य तीन देशों ने खुद को इस टूर्नामेंट से बाहर कर लिया. दरअसल उस वक्त दूसरे विश्व युद्ध को खत्म हुए 4 साल ही हुए थे, ऐसे में ये देश आर्थिक रूप से जूझ रहे थे. इसी वजह से इतने बड़े टूर्नामेंट में खेल पाना उनके लिए नामुमकिन था. बस फिर क्या था, बर्मा, इंडोनेशिया और फिलीपींस के बाहर होते ही भारत खुद-ब-खुद वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई कर गया.
भारत के लिए यह गर्व की बात थी कि उनकी फुटबॉल टीम वर्ल्ड कप में हिस्सा ले रही. हालांकि यह खुशी ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाई. टूर्नामेंट शुरु होने के कुछ दिन पहले ही भारत की फुटबॉल संघ (एआईएफएफ) ने टीम को ब्राजील भेजने से मना कर दिया, कहा जाता है कि उस वक्त टीम के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह ब्राजील जा सकें, हालांकि फीफा भारतीय फुटबॉल टीम को आने-जाने का किराया देने पर राजी हो गई लेकिन आखिर में एक और परेशानी का सामना करना पड़ा, दरअसल भारतीय फुटबॉल टीम के खिलाड़ी नंगे पैर फुटबॉल खेला करते थे जबकि फीफा का नियम था कि उनके सभी टूर्नामेंट में जूते पहनना सबसे पहला नियम था. वहीं भारतीय टीम के पास पहनने के लिए अच्छे जूते भी नहीं थे.
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FIFA World Cup 2018: पांच बड़ी टीमें जो इस बार नहीं होंगी फुटबॉल विश्व कप का हिस्सा
https://youtu.be/G7Y1M2532BI