रोड रेज मामले में बरी होने के बाद राहुल गांधी से बोले नवजोत सिंह सिद्धू- मेरी जिंदगी अब आपकी है

मामला साल 1988 का है. सिद्धू और उनके कजिन ने गुरनाम सिंह व दो लोगों की पिटाई की थी. इसे रोज रोड का केस बताया गया था. इस मामले में गुरनाम सिंह की बाद में मौत हो गई थी.

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रोड रेज मामले में बरी होने के बाद राहुल गांधी से बोले नवजोत सिंह सिद्धू- मेरी जिंदगी अब आपकी है

Aanchal Pandey

  • May 16, 2018 12:36 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट से साल 1988 के रोड रेज मामले में बरी होने के बाद कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को फोन कर कहा कि मैं पार्टी के लिए 27*7 तैयार हूं और मेरी जिंदगी अब आपकी है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से बैठक करने के बाद उन्होंने मंगलवार दोपहर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की. चंडीगढ़ के सेक्टर 2 स्थित सिद्धू के आवास पर पूरे दिन उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा रहा. सिद्धू ने कहा, मुझे राहुल गांधी, अमरिंदर सिंह और प्रियंका गांधी की ओर से शुभकामनाएं मिलीं. मैं बहुत खुश हूं. उन्होंने राहुल गांधी को भेजे संदेश में कहा कि मैं पार्टी के लिए 24*7 तैयार हूं. सुबह 11 बजकर 10 मिनट पर आए फैसले के कुछ ही मिनट बाद सिद्धू को राहुल गांधी की ओर से मैसेज मिला.

गौरतलब है कि न्यायाधीश जे.चेलमेश्वर और न्यायाधीश संजय किशन कौल की पीठ ने सिद्धू को रोडरेज के दौरान गैर इरादतन हत्या के मामले में बरी कर दिया है लेकिन जानबूझकर चोट पहुंचाने के मामले में दोषी ठहराते हुए उन पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया है. अदालत ने एक अन्य आरोपी उनके कजिन रुपिंदर सिंह सिद्धू को भी सभी आरोपों से बरी कर दिया है. यह घटना 27 दिसंबर 1988 की है, जब सिद्धू और उनके कजिन ने गुरनाम सिंह और दो अन्य की बर्बरता से पिटाई की थी. इसे रोड रेज का मामला बताया गया था, जिसमें गुरनाम सिंह की बाद में मौत हो गई थी.

पंजाब सरकार ने इस साल 12 अप्रैल को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के सिद्धू को दोषी ठहराने के फैसले का समर्थन किया था. पंजाब सरकार ने शीर्ष अदालत को यह बताया था कि सिद्धू के पहले मुक्के में ही पीड़ित गुरनाम सिंह (65) की मौत हो गई थी. राज्य सरकार ने कहा था कि इस बात के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं कि गुरनाम सिंह की मौत कार्डियक अरेस्ट से हुई है, ब्रेन हेमरेज से नहीं. 1999 में पटियाला की निचली अदालत ने यह कहते हुए सिद्धू और उनके कजिन को मामले से बरी कर दिया था कि मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार गुरनाम सिंह की मौत का कारण हार्ट अटैक था. उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2006 में निचली अदालत के फैसले को पलट दिया था, जिसमें कहा गया कि गुरनाम सिंह की मौत कार्डियक अरेस्ट से नहीं हुई थी बल्कि टेम्पोरल लोब में चोट लगने की वजह से उनकी मौत हुई थी. सिद्धू को गैर इरादतन हत्या में दोषी ठहराते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई थी.

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