इंदौर. कई बार लोग ये साबित कर देते हैं, कि जुनून और साहस के सामने कुछ भी नामुमकिन नहीं है. उन्हीें लोगों में से एक हैं 45 साल के विक्रम अग्निहोत्री, जिन्होंने दोनों हाथ न होने के बावजूद भी कई कोशिशों के बाद ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त कर लिया.
बचपन में विक्रम एक हाइटेंशन तार की चपेट में आए गए थे, जिसके कारण उन्हें अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े. लेकिन, इसके बाद भी वह जिंदगी में रुके नहीं. उन्होंने आगे चलकर पैरों से गाड़ी चलाना सीखा और ड्राइविंग में पारंगत हो गए.
विक्रम एक गैस एजेंसी चलाते हैं और इस समय एलएलबी कर रहे हैं. वह कहते हैं कि उन्होंने एक फुलटाइम ड्राइवर रखा था. लेकिन, फिर उन्हें लगा कि रोजाना की जरूरतों के लिए किसी और पर निर्भर नहीं रहा जा सकता. इसलिए उन्होंने ड्राइविंग सीखी और वह इससे आजाद महसूस करते हैं.
तकनीकी कराणों नहीं मिला लाइसेंस
उनके पास एक आॅटोमेटिक गीयर शिफ्ट कार है और वह स्टीयरिंग अपने दाएं पैर से पकड़ते हैं और बायां पैर एक्सेलरेटर पर रहता है. अपनी कार की दाएं तरफ ही विक्रम ने ब्रेक और एक्सेलरेटर लगवाए हैं.
जब विक्रम ने अक्टूबर 2015 में स्थाई लाइसेंस के आवेदन किया था, तो उन्हें भीड़भाड़ वाली जगह पर गाड़ी चलाने के लिए कहा गया. उनका आवेदन इस आधार पर अस्वीकार कर दिया क्योंकि वह ड्राइविंग करते हुए अपने हाथों से सिग्नल नहीं दे सकते. यह उनके लिए बड़ा झटका था.
14 हजार किमी. तक चलाई कार
इसके बाद विक्रम ग्वालियर में परिवहन आयुक्त न्यायाधिकरण पहुंचे. यहां उन्हें अस्वीकृति के लिए तकनीकी कारण बता दिया गया. उन्हें बोला गया कि उनकी कार दिव्यांगों के अनुसार नहीं बनी है. लेकिन, फिर उन्होंने किसी तरह अपनी कार में आवश्यकतानुसार परिवर्तन किए.
विक्रम इसके बाद केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी से मिले और राज्य मंत्रियों को याचिका दी. इसके बाद उन्हें ‘अवैध वाहन’ श्रेणी में 30 सितंबर को ड्राइविंग लाइसेंस मिल पाया. मई 2015 से लर्निंग लाइसेंस मिलने के बाद से विक्रम बिना किसी दुर्घटना के 14,500 किमी. तक गाड़ी चला चुके हैं.