नई दिल्ली. एक समय था जब ये धरती नहीं थी हम आप पेड़ पौधे कुछ भी नहीं थे.सूर्य भी नहीं था देवता भी नहीं थे, ना दानव थे तो फिर क्या था. ब्रम्हा ने सृष्टि कैसे बनाई कैसे विज्ञान और ब्रम्हा में तालमेल बना कैसे उत्पत्ति हुई इस ब्रम्हांड की.कैसे जन्म सूर्य कैसे पैदा हुई पृथ्वी. इस अनसुलझी पहेली का रहस्य आज भी कोई नहीं जानता.
सृष्टि की उत्पत्ति की अनेक कथाएं हैं पर सिद्धांत एक है ये पूरा ब्रम्हांड एक अंडे की शक्ल में है.इसे ब्रम्ह का अंड कहा जाता है और इसी वजह से इसका नाम पड़ा ब्रम्हांड. आज हम आपको सृष्टि यानि हमारे ब्रम्हांड की रचना की आध्यात्मिक कथा. वो कथा जो हमारे पुराणों में हैं और फिर उस कथा को वैज्ञानिक आधार पर प्रमाणित करके दिखाएंगे.
दुनिया के सबसे पुराने वेद ऋगवेद के बारे में आपने सुना होगा. लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि इस ऋगवेद के नासदीय सूक्त में एक बात लिखी है. ऋगवेद में ये बात लगभग 5000 साल पहले कही गई है ऋगवेद की इस बात को आज विज्ञान भी मानता है.
विज्ञान कहता है कि महाविस्फोट से हमारे ब्रम्हांड की उत्पत्ति हुई और लगभग तीन लाख वर्ष बाद सृष्टि का स्वरूप ऐसा हुआ जिस पर जीवन की कोई उम्मीद जगे विज्ञान ये भी कहता है कि 14 अरब वर्ष पहले एक बिंदु के महाविस्फोट से ब्रम्हांड का सृजन हुआ जो आज तक फैल रहा है.