प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नागरिकों के बैंक खातों में 15 लाख रुपये डालने का वादा पूरा करने की तारीख के बारे में पूछा गया सवाल आरटीआई कानून के तहत सूचना के दायरे में नहीं आता. इसीलिए इसका उत्तर नहीं दिया जा सकता। यह बात प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने केंद्रीय सूचना आयोग से कही है. पीएम मोदी, आरटीआई, 15 लाख रुपये, पीएमओ
नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव 2014 से पहले पीएम मोदी के 15 लाख हर खाते में देने के वादे को लेकर आरटीआई के जवाब में प्रधानमंत्री कार्यलय ने जवाब दिया है. प्रधानमंत्री मोदी के 15 लाख रुपये देने का वादा पूरा करने की तारीख के बारे में पूछा गया सवाल पर पीएमओ ने जवाब दिया कि ये बताना आरटीआई कानून के तहत सूचना के दायरे में नहीं आता. इसलिए इसका जवाब नहीं दिया जा सकता है. बता दें कि 15 लाख के वादे को भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह 2015 में चुनावी जुमला बता चुके हैं.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने केंद्रीय सूचना आयोग को जानकारी देते हुए बताया कि आरटीआई एक्ट के तहत ऐसी कोई सूचना नहीं है, इसलिए इससे संबंधित जानकारी या जवाब नहीं दिया जा सकता. सूचना के अधिकार कानून (RTI) के तहत मोहन कुमार शर्मा ने 26 नवंबर 2016 को आवेदन देकर 15 लाख रुपये संबंधी जानकारी मांगी थी. मोहन कुमार शर्मा की आेर से यह आवेदन 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को चलन से हटाने की घोषणा के करीब 18 दिन बाद दिया गया.
इस मामले की सुनवाई के दौरान शर्मा ने मुख्य सूचना आयुक्त आर के माथुर को बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने उन्हें पूरी जानकारी नहीं दी. इस पर जवाब देते हुए माथुर ने बताया पीएमओ ने कहा है कि मोहन कुमार द्वारा मांगी गई जानकारी आरटीआई एक्ट के सेक्शन 2(f) के तहत सूचना की परिभाषा में नहीं आती है. वहीं इस मामले में मुख्य सूचना आयुक्त माथुर का कहना है कि पीएमओ और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के जवाब संतोषजनक हैं.
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