बड़े अस्पतालों के बड़े डॉक्टर भी अकसर लापरवाही कर बैठते हैं. दिल्ली में ऐसा ही हैरतअंगेज और लापरवाही भरा मामला सामने आया है. यहां एक मरीज के चेहरे और सिर में चोट थी लेकिन डॉक्टर टांग के इलाज में लग गया. इतना ही नहीं डॉक्टर ने मरीज को बेहोशी का इंजेक्शन देकर टांग में रॉड डालने के लिए ड्रिल मशीन से छेद करना भी शुरू कर दिया. तभी....
नई दिल्ली. दिल्ली सरकार द्वारा संचालित एक बड़े अस्पताल में सीनियर डॉक्टर की गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है. डॉक्टर ने सिर की चोट का इलाज कराने आए मरीज की टांग की सर्जरी कर दी. अस्पताल भी छोटा- मोटा नहीं है बल्कि क्रिटिकल ट्रॉमा की सुविधाओं से लैस है. डॉक्टर ने मरीज के पैर में ड्रिल से छेद कर रॉड डालने की कोशिश की. इस गंभीर लापरवाही की शिकायत के बाद ट्रॉमा सेंट्रर के एमएस ने डॉक्टर के खिलाफ जांच कमेटी बैठाई है.
यह सब कुछ दो मरीजों के एक जैसे नाम की वजह से हुआ बताया जा रहा है. दरअसल, सिविल लाइन स्थित ट्रॉमा सेंटर में बेड पर लेटे विजेन्द्र का कुछ दिन पहले ट्रोनिका सिटी के पास बाइक एक्सीडेंट हुआ था. इस एक्सीडेंट में उन्हें सिर और चेहरे पर चोट लगी थी. विरेंद्र के परिजनों ने उन्हें यहां इलाज के लिए भर्ती कराया था. विजेन्द्र का दो दिनों तक इलाज भी हुआ और ठीक भी होने लगे. लेकिन गुरुवार को एक डॉक्टर ने उन्हें बेहोशी के इंजेक्शन लगाकर घुटने के नीचे ड्रिल से छेद कर पैरों में रॉड डालने की कोशिश की. डॉक्टर की इस कोशिश के बीच मरीज का तीमारदार आया तो यहां का नजारा देखकर भौंचक रह गया. विरेंद्र के तीमारदार ने अस्पताल प्रशासन से इसकी शिकायत कर दी.
मरीज के परिजनों का कहना है कि डॉक्टर ने उन्हें बाहर से दो ईंट लाने के लिए भेज दिया था. डॉक्टर ने इसी दौरान बेहोशी के इंजेक्शन देकर पैरों में ड्रिल से छेद करना शुरू कर दिया. तीमारदार जैसे ही वापस आया तो देखा कि डॉक्टर पैरों में ड्रिल मशीन से छेद कर रहे हैं. इसे देखते ही उनके होश उड़ गए. इसके बाद में पता चला कि डॉक्टर ने गलती से विरेन्द्र के बजाय विजेन्द्र के पैरों में रॉड डालने की तैयारी कर ली थी. अगर थोड़ी देर और हुई होती तो डॉक्टर की लापरवाही से विजेन्द्र के ठीक- ठाक पैर में भी रॉड डल जाती.
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