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सिंधु जल समझौते पर प्रधानमंत्री की ओर से बुलाई गई बैठक खत्म, हो सकता है निर्णायक फैसला?

नई दिल्ली. भारत-पाकिस्तान के बीच 1960 में हुए सिंधु जल समझौते की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री मोदी की ओर से बुलाई गई बैठक खत्म हो गई है. मीटिंग में विदेश सचिव एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पीएम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी नृपेंद्र मिश्र शामिल हुए .    इनख़बर से जुड़ें | एंड्रॉएड ऐप्प | फेसबुक | ट्विटर   सरकार से […]

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  • September 26, 2016 4:31 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. भारत-पाकिस्तान के बीच 1960 में हुए सिंधु जल समझौते की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री मोदी की ओर से बुलाई गई बैठक खत्म हो गई है. मीटिंग में विदेश सचिव एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पीएम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी नृपेंद्र मिश्र शामिल हुए . 
 
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सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस समझौते पर कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया जाएगा. यह एक अंतर्राष्ट्रीय फैसला था. 
गौरतलब है कि गुरुवार को विदेश मंत्रालय की ओर से इस जल संधि पर बयान आया था कि कोई भी समझौता आपसी विश्वास से चलता है लेकिन जब विश्वास नहीं रहेगा तो फिर समझौता कैसा.
आसान नहीं है इसे रद्द करना
सिंधु जल समझौता दुनिया की सबसे सफल और उदार जल संधियों में से एक है. इसे रद्द करना इतना आसान भी नहीं है. इस समझौते के नियम कुछ ऐसे हैं कि कोई भी देश एकतरफा इसे रद्द या बदल नहीं सकता.
 
रद्द हुआ तो पाकिस्तान की कमर टूट जाएगी
यह समझौता अगर रद्द हो गया तो पाकिस्तान एक- एक बूंद पानी के लिये तरस जाएगा. पाकिस्तान के पानी की जरुरत का एक बडा हिस्सा इसी के पानी से पूरा होता है. उरी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध का दबाव बढ रहा है ऐसे में सरकार इसे उसके खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है. 
 
उरी हमले का जवाब देने के लिये भारत ने जो प्लान किया है अगर उसपर मुहर लग जाए तो पाकिस्तान का बहुत बुरा हाल हो जाएगा. जानकारों का यह भी कहना है की जिस तरह चीन वहां से निकलने वाली सभी नदियों के पानी का इस्तेमाल अपने मन के मुताबिक करता है वैसे ही भारत को भी यहां से निकलने वाली नदियों का पानी पाकिस्तान को नहीं देना चाहिये. साथ ही बिना कोई रहम बरते यह समझौता रद्द कर देना चाहिए.

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