लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक कराए जाने के लिए विधि आयोग ने प्रश्नावली जारी कर आम जनता, स्टूडेंट्स और नामचीन हस्तियों से सुझाव मांगा है. आयोग में चर्चा के लिए तैयार मसौदे के मुताबिक 30 महीनों के बीच करीब 19 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. माना जा रहा है कि छह 6-7 महीने के अंतराल में पड़ने वाले राज्यों के चुनाव 2019 के लोकसभा चुनावों के साथ कराकर इसका माहौल तैयार किया जाएगा.
नई दिल्ली. मोदी सरकार लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक कराए जाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है. एक देश एक चुनाव के लिए विधि आयोग ने विचार करना शुरू कर दिया है. विधि आयोग ने इस मुद्दे पर प्रश्नावली जारी कर नामचीन हस्तियों और आम जनता से सुझाव मांगे हैं. चुनाव एक साथ कराने के लिए जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 2 में संशोधन पर विचार होगा. मंगलवार को विधि आयोग ने एक देश एक चुनाव के प्रस्ताव पर विचार किया. आयोग ने तैयार किये गए कानूनी और संवैधानिक प्रारूप के कई बिंदुओं पर चर्चा की.
विधि आयोग इस पर भी विचार करेगा कि किसी सरकार के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाता है तो उसे कैसे व्यवस्थित किया जाएगा. विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव के साथ बताना होगा कि उसे किस पर विश्वास है. विधि आयोग ने अपने ड्राफ्ट में दल बदल कानून को खत्म करने की बात भी कही है. त्रिशंकु विधान सभा या लोकसभा की स्थिति में दलबदल कानून के पैराग्राफ 2 (1)(ब) को अपवाद मानने का संशोधन करने का भी प्रस्ताव है.
संविधान के अनुच्छेद 83 और 172 के साथ ही जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धाराएं 14 और 15 में संशोधन किया जा सकता है. इस संशोधन से लोकसभा और विधान सभा के मध्यावधि चुनाव सिर्फ बची हुई अवधि के लिए शासन संभालने के लिए करने का प्रावधान कराया जा सकता है. केंद्र सरकार राज्यों के बहुमत से इन संशोधन प्रस्तावों पर सहमति ले सकती है ताकि भविष्य में किसी भी तरह की कानूनी चुनौतियों के चक्कर से बचा जा सके. स्थायी सरकार के लिए एक और व्यवस्था की जा सकती है कि लोकसभा या विधानसभा के स्पीकर की तरह सदन में सबसे बड़ी पार्टी के नुमाइंदे को मुख्यमंत्री चुना जाये.
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