भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने दलित कार्यकर्ताओं के घरों और दफ्तरों पर छापेमारी की. यह कार्रवाई 31 दिसंबर 2017 को आयोजित यलगार परिषद में हुई हिंसा के मामले में की गई है. पुलिस ने इस कार्यक्रम से जुड़े लोगों और शामिल हुए लोगों के खिलाफ छापेमारी की है. यह छापेमारी सुबह 5 बजे शुरू हो गई थी.
मुंबई. भीमा कोरेगांव में एक जनवरी 2018 को दलितों के शौर्य दिवस पर हुई हिंसा के मामले में मंगलवार को पुणे पुलिस ने दलित कार्यकर्ताओं के घरों, दफ्तरों पर छापेमारी की. सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने सुबह 5 बजे से छापेमारी की शुरूआत की. पुणे पुलिस की कई टीमों ने मुंबई, पुणे और नागपुर में कई दलित कार्यकर्ताओं के घरों और ऑफिस पर छापेमारी की. पिछले साल 31 दिसंबर को हुई यलगार परिषद में शामिल या संलिप्त लोगों पर भी पुलिस ने कड़ा रवैया अपनाया है.
31 दिसंबर को हुई यलगार परिषद में गुजरात के दलित नेता और विधायक जिग्नेश मेवाणी, जेएनयू छात्र नेता उमर खालिद, छत्तीसगढ़ की एक्टिविस्ट सोनी सोरी और भीम आर्मी के अध्यक्ष विनय रतन सिंह ने लोगों को संबोधित किया था. पुणे पुलिस ने प्रसिद्ध वकील सुरेंद्र गडलिंग के नागपुर स्थित घर पर भी छापा मारा. सुरेंद्र गडलिंग विभिन्न अदालतों में कई कथित नक्सलियों का केस लड़ रहे हैं. इनके अलावा पुलिस ने यलगार परिषद के संबंध में वामपंथी संगठन कबीर कला मंच और रिपब्लिकन पैंथर्स पार्टी के परिसरों के साथ ही रमेश गेचर और सागर गोरखे जैसे नेताओं के घरों और कार्यालयों पर भी छापेमारी की.
पुणे पुलिस की टीम ने मुंबई में वामपंथी कार्यकर्ताओं सुधीर धवाले और हर्षाली पोटदार के आवास पर भी छापेमारी की. पुलिस की इस कार्रवाई पर भारतीय रिपब्लिकन पार्टी बहुजन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. प्रकाश अंबेडकर ने इसे सरकार की उत्पीड़न और ध्यान भटकाने वाली रणनीति बताया है. उन्होंने कहा कि सरकार हिंसा भड़काने के मुख्य आरोपी शंभाजी भिड़े को गिरफ्तार करने के बजाय इस तरह की ध्यान भटकाने वाली कार्रवाई कर रही है.
भीमा कोरेगांव हिंसा: संभाजी भिड़े की गिरफ्तारी की मांग को लेकर मुंबई में दलितों के यलगार मोर्चे को नहीं मिली इजाजत