नई दिल्ली. किसी भी पर्व-त्योहार और व्रत में हम साबूदाना खाते हैं. साबूदना के तरह-तरह के व्यंजन बनाते हैं, लेकिन आप शायद यह नहीं जानते होंगे कि साबूदान शाकाहारी नहीं, बल्कि मांसाहारी है.
हिन्दू परिवारों में तो साबूदाना का प्रयोग धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है. अब आप सोच रहे होंगे कि साबूदान तो सागो पाम के पौधों के तने से निकलने वाले गूदे से बनता है तो फिर यह मांसाहारी कैसे हुआ. तो चलिए आज हम आपको बता ही देते हैं कि आप जो साबूदाना व्रत-त्योहार में खाते हैं वह आपको व्रत को नष्ट करता है.
बाजार में मिलने वाला साबूदाना नहीं है शाकाहारी
दरअसल बाजार में आने से पहले साबूदाना में काफी बदलाव किए जाते हैं. तमिलनाडु में साबूदाना का बहुत बड़ा कारोबार है. यहां की फैक्ट्रियों में सागो पाम के जड़ों को काटकर लाया जाता है और उन्हें बड़े-बड़े गड्ढों में दबाया जाता है. वह इसलिए सड़ने के बाद इन जड़ों से साबूदान आसानी से निकाला जा सके.
इन गढ्ढों के ऊपर बड़ी-बड़ी लाइटें भी लगाई जाती हैं, जिनसे कीड़े गिरकर गढ्ढे में जाते हैं. साबूदाना को मांसाहारी बनाने का सबसे बड़ा कारण भी यही है. जड़ों के अधिक समय तक गढ्ढे में रहने के कारण इसमें कीड़े हो जाते हैं, लेकिन फैक्ट्री वाले उन कीड़ों को बिना निकाले ही साबूदाना तैयार करते हैं और यही साबूदान मार्केट में धड़ल्ले से बिकता है. अब आप खुद ही सोच लीजिए कि आपको अपना व्रत पूरा करना है या तोड़ना?