तीस साल पहले अपने बड़े बेटे को एक आतंकी हमले के गँवा चुके जयनारायण सिंह ने कभी नहीं सोचा होगा की 30 साल बाद उसी तरह के एक आतंकी हमले में अपने छोटे बेटे को भी खो देंगे।
भोजपुर. तीस साल पहले अपने बड़े बेटे को एक आतंकी हमले के गँवा चुके जयनारायण सिंह ने कभी नहीं सोचा होगा की 30 साल बाद उसी तरह के एक आतंकी हमले में अपने छोटे बेटे को भी खो देंगे।
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शहीद के पिता जयनारायण सिंह के चेहरे पर बेटे को खोने का दुःख साफ दिखा रहा था. बीते रविवार को उरी में सेना पर हुए आतंकी हमले में शहीद हुए हवलदार अशोक कुमार सिंह(50) का पार्थिव शरीर उनके गांव भोजपुर के रगड़ू टोला पहुंचा. जहाँ पूरे सैनिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. दरअसल जयनारायण सिंह के बड़े बेटे “कामत सिंह” भी सेना में थे जो 1986 में राजस्थान में सिख चरमपंथियों के साथ लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे. उस समय कामत सिंह की उम्र 20 वर्ष से भी कम थी. भरे हुए गले और भीगी आँखों के साथ शहीद अशोक कुमार की पत्नी ने कहा कि “इस बुजदिल आक्रमण का देश बदला ले.”
शहीद अशोक कुमार का बड़ा बेटा विशाल भी पिता और चाचा के नक्शेकदम पर चलते हुए सेना में भर्ती हो कर देश सेवा करना चाहता है. शहीद अशोक कुमार के परिवार में तीन लोग इस समय सेना में रह कर देश की सेवा कर रहे है. इससे पहले उरी में हुए आतंकी हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे और 10 जवान घायल हुए थे. वैश्विक समुदाय ने भारतीय सेना पर हुए इस हमले की एक सुर में निंदा की है.