नई दिल्ली. केंद्र सरकार महिला अधिकारों के समर्थन में तीन तलाक की प्रथा का विरोध करने का फैसला किया है. एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस व्यवस्था का विरोध किया जाएगा. सरकार इस बात पर जोर देगी कि इस मुद्दे को समान आचार संहिता के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए. सूत्रों के अनुसार इस मुद्दे पर गृह, वित्त और महिला एवं बाल विकास मंत्रालयों में मंत्रणा चल रही है.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार हमें महिलाओं के अधिकारें के संदर्भ में बात करने की जरूरत है. हमें इसको समान आचार संहिता के चश्मे से नहीं देखना चाहिए. हमारा जवाब सिर्फ अधिकारों पर केंद्रित रहने वाला है. किसी महिला के अधिकार अपरिहार्य हैं और संविधान के अनुसार उसके पुरूषों के बराबर के अधिकार हासिल हैं.
इसी मुद्दे पर चर्चा के लिए गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने पिछले सप्ताह बैठक की कि बहुविवाह, एकसाथ तीन तलाक और ‘निकाह हलाला’ की मुस्लिम परंपराओं के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में सरकार का क्या रुख होगा.
बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने इस महीने की शुरूआत में तीन तलाक के मुद्दे पर दायर याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को चार सप्ताह का समय दिया था. इन याचिकाओं में उत्तराखंड की महिला सायरा बानो नामक महिला की याचिका भी शामिल है जिन्होंने बहुविवाह, एकसाथ तीन तलाक (तलाक-ए-बिदत) और ‘निकाह हलाला’ की मुस्लिम परंपराओं असंवैधानिक करार देते हुए चुनौती दी है.