एक महीना और दो 'भारत बंद' के बाद अब केंद्र सरकार के लिए इस महीने पड़ने वाली यह दो तारीखें चिंता का विषय बनी हुई हैं. यह तारीखें हैं 14 अप्रैल और 18 अप्रैल. दरअसल 14 अप्रैल को संविधान जनक बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती है तो 18 अप्रैल को भगवान परशुराम की जयंती पड़ रही है. इन दो तारीखों को लेकर सरकार ने कई संवेदनशील शहरों में सुरक्षा संबंधी अलर्ट जारी किया है. बता दें कि 2 अप्रैल को एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के विरोध में दलित संगठनों द्वारा तो 10 अप्रैल को आरक्षण के विरोध में सवर्ण वर्ग द्वारा भारत बंद बुलाया गया.
नई दिल्लीः आरक्षण के विरोध में 10 अप्रैल यानी मंगलवार को सवर्णों ने भारत बंद बुलाया. इसी माह 2 अप्रैल यानी सोमवार को एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए बदलाव के विरोध में दलित संगठनों ने भारत बंद बुलाया था. एक महीने में दो बार भारत बंद के बाद अब केंद्र सरकार एक बार फिर सांसत में है. इस माह 14 अप्रैल और 18 अप्रैल को लेकर कई राज्यों के शहरों में अलर्ट जारी किया गया है. दरअसल 14 अप्रैल को संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती और 18 अप्रैल को भगवान परशुराम की जयंती पड़ रही है.
इन दो नई तारीखों को लेकर कई संवेदनशील शहरों में कानून व्यवस्था पुख्ता रखने के निर्देश जारी किए गए हैं. इसके अलावा पुलिस सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, व्हॉट्सऐप और ट्विटर पर भी नजर बनाए हुए है. अगर किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भड़काऊ पोस्ट पाई जाती है तो पुलिस आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कह रही है. पुलिस लगातार लोगों से अपील कर रही है कि सोशल मीडिया पर प्रचारित किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें.
बता दें कि मंगलवार को यह पहली बार हुआ है कि सोशल मीडिया पर वायरल एक अफवाह की वजह से भारत बंद हुआ हो. इस दौरान बिहार, यूपी, पंजाब और मध्य प्रदेश में कुछ हिंसक घटनाओं की खबरें भी मिलीं. इससे पहले एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के विरोध में 2 अप्रैल को दलित संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद के दौरान कई राज्यों में हिंसक वारदातें सामने आई थीं, जिनमें 11 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए.
हाल में देवभूमि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग स्थित अगस्त्यमुनि क्षेत्र में सोशल मीडिया पर वायरल एक अफवाह की वजह से खासा बवाल हो गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अराजक तत्वों द्वारा सोशल मीडिया पर एक बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या का मैसेज वायरल हुआ. देखते ही देखते लोग जुटने लगे और गुस्साई भीड़ ने एक विशेष समुदाय के लोगों की दर्जनों दुकानों को आग के हवाले कर दिया. जिलाधिकारी ने खुद सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए इस खबर का खंडन किया. पुलिस प्रशासन ने फ्लैग मार्च निकाला और बामुश्किल लोगों को काबू में किया.