अध्यात्म के बारे में छात्रों का ज्ञान बढ़ाने और नैतिक बल के उत्थान के लिए देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले शहर मुंबई और उपनगर में निगम के सभी स्कूलों में अब भगवद्गीता पढ़ाई जाएगी. बृहन्मुंबई महानगरपालिका (एमसीजीएम) के निगम उपायुक्त रामदास भाउसाहेब ने कहा, ‘‘हम छात्रों को स्वतंत्र बनाने और फैसला लेने की उनकी क्षमता को और धार देने के लिए उन्हें भगवद्गीता की जानकारी देंगे.’’
मुंबई. अध्यात्म के बारे में छात्रों का ज्ञान बढ़ाने और नैतिक बल के उत्थान के लिए देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले शहर मुंबई और उपनगर में निगम के सभी स्कूलों में अब भगवद्गीता पढ़ाई जाएगी. बृहन्मुंबई महानगरपालिका (एमसीजीएम) के निगम उपायुक्त रामदास भाउसाहेब ने कहा, ‘‘हम छात्रों को स्वतंत्र बनाने और फैसला लेने की उनकी क्षमता को और धार देने के लिए उन्हें भगवद्गीता की जानकारी देंगे.’’
इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) की ओर से 15 मार्च को आयोजित ‘गीता चैंपियन लीग’ प्रतिस्पर्धा के पुरस्कार वितरण समारोह में उन्होंने यह बात कही. एक प्रेस विज्ञिप्ति के मुताबिक, रामदास ने कहा कि एमसीजीएम के अंतर्गत 1,200 स्कूल हैं और कुल 4,78,000 छात्र हैं। कुल 3,500 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से नौ क्षेत्रीय भाषाओं में बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है.
गिरगांव चौपाटी में इस्कॉन के राधा गोपीनाथ मंदिर के आध्यात्मिक गुरू राधानाथ स्वामी ने कहा, ‘‘हमारे बच्चे हमारे भविष्य हैं. जरूरत है कि हम उनकी हिफाजत करें, उनका ज्ञानवर्धन करें और समझ विकसित करें. टीवी, फिल्में और इंटरनेट से बच्चों के सामने हिंसा, अश्लीलता और उन्माद दिखाए जाने का खतरा है, जिससे वे नकारात्मक विचार और घटनाओं से आसानी से प्रभावित हो सकते हैं.’’ उन्होंने कहा कि भगवद्गीता के पाठ से उनमें सकारात्मक सोच विकसित होगी और छात्रों को केंद्रित रहकर नैतिक फैसले लेने में मदद मिलेगी.