एक हसीना के लिए वीरान हो गए राजस्थान के 84 गांव !

घटना 1825 के आसपास की है. एक दिन इस गांव में एक रियासत का मंत्री सलीम सिंह जो उस लड़की को देख कर सुध-बुध खो बैठा. उसको पता चला कि वह गांव के प्रधान की बेटी है तो उससे रहा न गया. वह प्रधान के घर जा पहुंचा और उनसे बेटी का हाथ मांग लिया. लेकिन प्रधान ने अपनी 18 साल की बेटी को एक सलीम सिंह के हाथों ब्याहने से मना कर दिया.

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एक हसीना के लिए वीरान हो गए राजस्थान के 84 गांव !

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  • September 15, 2016 12:51 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
जयपुर. उसकी खूबसूरती ही कुछ ऐसी थी. उसकी अदा पर आसपास के गांवों के लोग दीवाने थे. लेकिन उस हसीना के चक्कर में 84 गांव हमेशा के श्मसान घाट में तब्दील हो गए. ये कहानी है कि जैसलमर के कुलधरा और आसपास के 83 गांवों की है. बताया जाता है कि कुलधरा गांव में पालीवाल ब्राह्मण रहते थे. जो कि काफी संपन्न और उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई थी. इस गांव का प्रधान पालीवाल ब्राह्मण था जिसकी बेटी थी. 
 
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जो इतनी सुंदर थी कि उसके देखने के बाद राजकुमारियां और महारानियां भी जलने लगनी थीं. घटना 1825 के आसपास की है. एक दिन इस गांव में एक रियासत का मंत्री सलीम सिंह जो उस लड़की को देख कर सुध-बुध खो बैठा. उसको पता चला कि वह गांव के प्रधान की बेटी है तो उससे रहा न गया. वह प्रधान के घर  जा पहुंचा और उनसे बेटी का हाथ मांग लिया. लेकिन प्रधान ने अपनी 18 साल की बेटी को एक सलीम सिंह के हाथों ब्याहने से मना कर दिया.
 
ये रियासत के मुखिया सलीम को बर्दास्त नहीं हुई और उसने पूरे गांव को बर्बाद करने का ऐलान कर दिया. इससे पूरे गांव में हलचल में मच गई. कोई रास्ता निकालने के लिए 84 गांवों के सभा बुलाई गई जिसमें फैसला हुआ कि रातों-रात गांव को छोड़ दिया. फिर क्या था सभी 84 गांवों के लोगों ने रातों-रात अपना घर-बार छोड़ दिया और कहां चले गए आज तक पता नहीं चल पाया.
 
लोगों का कहना है कि जाते वक्त पालीवाल ब्राह्मणों ने श्राप दिया था कि कभी कुलधारा दोबारा आबाद नहीं हो पाएगा. शायद यही वजह है आजतक इस इलाके में दोबारा बस्ती नहीं बसाई जा सकी है. गौरतलब है कि इसी तरह की कहानी भानगढ़ के किले की भी है जो एक रानी और तांत्रिक के चक्कर में हमेशा के लिए बर्बाद हो गया. 

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