लंदन. भारतीय मूल के इंजीनियर नवीन रब्बेली अपनी ‘टुक टुक’ के साथ 10 हजार किलोमीटर (6200 मील) का सफर पूरा कर सोमवार को ब्रिटेन पहुंच गए. नवीन की टुक टुक सौर ऊर्जा से चलती है. पेशे से ऑटोमोटिव इंजीनियर नवीन भारत में जन्में हैं और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की नगारिकता ले ली है.
35 वर्षीय नवीन रब्बेली ने इसी साल फरवरी में बेंगलुरु से अपनी यात्रा शुरु की थी. वो इंग्लैंड के डोवर तय समय से पांच दिन बाद पहुंचे क्योंकि फ्रांस में किसी ने उनका पासपोर्ट और पर्स चुरा लिया था. इसके बाद उन्हें एमरजेंसी पासपोर्ट जारी किया गया. नवीन ने कहा कि पेरिस पहुंचने तक का उनका यह सफर बेहद मजेदार रहा. लेकिन पेरिस में उनका सामान चोरी हो गया जिससे उन्हें थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा था.
द गार्जियन से बातचीत में नवीन ने बताया, ‘सफर के दौरान स्थानीय लोगों ने मेरी बहुत मदद की. लोगों को टुक-टुक काफी पसंद आया, खासकर ईरान जैसे देशों में लोगों ने इसे खूब सराहा. लोग इसके साथ सेल्फी लेने आते थे. जब मैं उन्हें बताता कि यह बिना पेट्रोल के चलती है तो वे भौंच्चक रह जाते.’
ब्रिटेन में एंट्री नहीं थी आसान
अपनी टुक-टुक के साथ फोटो के लिए पोज़ देते हुए नवीन ने बताया कि लगातार सात महीनों से सफर करने और इमरजेंसी पासपोर्ट होने के कारण ब्रिटिश बॉर्डर के अधिकारियों ने उनकी टुक-टुक की अच्छी तरह से तलाशी ली. अपनी टुक-टुक को उन्होंने खुद ही मोडिफाई करके इसमें एक बिस्तर, साथ सफर करने वाले के लिए बैठने की जगह, एक आलमारी और सौर ऊर्जा से चलने वाले कुकर उन्होंने फिट किया है.
सफर से संदेश देने का है इरादा
नवीन लोगों में बिजली और सौर ऊर्जा से चलने वाले वाहनों के बारे में जागरुकता फैलाना चाहते हैं. ये यातायात के सस्ते विकल्प बन सकते हैं. वह कहते हैं कि फ्यूल से चलने वाली टुक-टुक को सौर ऊर्जा से चलने वाली टुक-टुक में परिवर्तित करने का ख्याल एक ट्रैफिक जाम में फंसने के दौरान आया. भारत में एकबार वह अपने दोस्त के साथ जाम में फंस गए थे तब चारों तरफ उन्हें प्रदूषण फैलाने वाली टुक टुक थी.
भारत से अपने सफर की शुरुआत करने बाद वह ईरान, तुर्की, बुल्गारिया, सर्बिया, ऑस्ट्रिया, स्विटजरलैंड, जर्मनी और फ्रांस होते हुए इंग्लैंड पहुंचे हैं. नवीन अपनी यात्रा बर्मिंघम पैलेस पर खत्म करना चाहते हैं.