नई दिल्ली. वैसे तो अपने बैंक खातों में हम खुद ही पैसे जमा कराते हैं लेकिन सरकार की जनधन योजना के तहत खुले खातों में बैंक कर्मी पैसे जमा कर रहे हैं. हैरान न हों, इसके लिए सरकार की तरफ से कोई आदेश नहीं है बल्कि बैंक जीरो खातों की संख्या घटाने के लिए ऐसा कर रहे हैं.
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक जनधन योजना के तहत लोग जीरो बैलेंस से भी अपना खाता खोल सकते हैं लेकिन, करोड़ों की संख्या में जीरो खाते खुलना बैंकों के लिए भारी पड़ रहा है. वहीं, इतने सारे लोगों को खाते में पैसे डालने के लिए तैयार करना भी मुश्किल काम है इसलिए बैंक कमिर्यों के अलग-अलग अलाउंस से एक या दो रुपये जीरो खातों में जमा किए जा रहे हैं.
यपूी के बरेली में पूर्णापुर गांव की रहने वाली कमलेश ने पंजाब और सिंध बैंक में जनधन खाता खुलवाया था. लेकिन, जब उन्होंने इस साल अपनी पासबुक अपडेट कराई तो उसमें एक रुपया जमा था. वह हैरान थीं क्योंकि उन्होंने खाते में कोई पैसा जमा ही नहीं कराया था.
जीरो खाते कम करने का दबाव
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक जब छह राज्यों के गांवों और शहरों में जाकर पड़ताल की गई तो 20 शाखा प्रबंधकों ने बताया कि उन पर जीरो बैलेंस खाते की संख्या कम दिखाने का दबाव होता है. आमतौर पर जीरो बैलेंस खाते का मतलब माना जाता है कि उस खाते को कोई इस्तेमाल नहीं कर रहा है. ऐसे में उसे बदलने का दबाव बन जाता है. इसलिए एक रुपये जमा करना सबसे आसान रास्ता है.
आरटीआई से मिली सूचना के मुताबिक 18 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और उनकी 16 क्षेत्रीय शाखाओं में ऐसे 1.05 जनधन खाते हैं, जिनमें एक करोड़ रुपये जमा हैं. इसके अलावा कुछ खातों में 2 से 5 रुपये और यहां तक की 10 पैसे भी जमा किए गए हैं.
आंकड़ें दिखाते हैं कि जनधन खातों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ जीरो बैलेंस खातों की संख्या घटी है. 26 अगस्त 2016 को जनधन खातों की संख्या 17.90 करोड़ थी और जीरो खाते 8.40 करोड़ थे. वहीं, 31 अगस्त 2016 को जनधन खातों की संख्या बढ़कर 24.10 करोड़ हुई और जीरो खाते घटकर 5.87 करोड़ हो गए.
कहां से जमा हो रहे पैसे
इन खातों में पैसे जमा करने के लिए कर्मचारियों के यात्रा व मनोरंजन अलाउंस, कैंटीन सब्सिडी, आॅफिस रखरखाव और डिमांड ड्राफ्ट और आॅनलाइन ट्रांस्फर्स से मिली फीस के पैसे इस्तेमाल होतेहैं. शाखा अधिकारियों का कहना है कि हम इन खातों को चलाने के लिए अपनी जेब से पैसे लगाते हैं.
बिहार के बाढ़ जिले में 200 जनधन खातों में एक रुपया जमा है. इनमें से 120 खातों में 9 से 12 अक्टूबर 2015 के बीच ही पैसे जमा हुए हैं. कई बैंकों के अधिकारियों ने दबाव में जीरो खातों में पैसे जमा करने की बात स्वीकारी है.