सोमवार को दलित संगठनों के भारत बंद के दौरान प्रो. राकेश सिन्हा को पुलिस ने दलित एक्टिविस्ट समझकर हिरासत में ले लिया था. प्रो. सिन्हा एक न्यूज टेलीविजन कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए नोएडा पहुंचे हुए थे. पुलिस को जब समझ में आया कि उन्होंने गलत तरीके से राकेश सिन्हा को पकड़ लिया है तो उन्हें तुरंत उन्हें छोड़ दिया गया.
नोएडा. 02 अप्रैल को भारत बंद के दौरान हिंसा के बीच सोमवार को एक न्यूज चैनल के गेट से RSS विचारक राकेश सिन्हा को जबरन उठाकर ले जाना एक पुलिस अधिकारी को भारी पड़ गया. नोएडा के SSP अजयपाल शर्मा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राकेश सिन्हा को अपनी जीप में जबरन बैठा कर ले जाने वाले SHO को सस्पेंड करने का आदेश दे दिया है.
सोमवार को दलित संगठनों की ओर से भारत बंद के बीच राकेश सिन्हा नोएडा फिल्म स्थित एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम के बाद ऑफिस से बाहर निकल रहे थे तभी नोएडा पुलिस ने गेट पर ही जबरन उनको अपनी जीप में बैठाकर चल दी. हालांकि 500 मीटर दूर जाने पर ही हो हल्ला के बाद पुलिस ने छोड़ दिया. इस मामले में पुलिस ने कहा था कि राकेश सिन्हा को पुलिस ने दलित एक्टिविस्ट समझकर हिरासत में ले लिया था. लेकिन जैसे ही पुलिस को समझ में आया कि वो दंगाई नहीं बल्कि संघ विचारक हैं पुलिस ने तुरंत छोड़ दिया.
नोएडा पुलिस की ओर से इस अमानवीय व्यवहार को लेकर राकेश सिन्हा ने ट्वीट करते हुए कहा था कि SHO अनिल कुमार शाही के नेतृत्व में ज़बरन पुलिस गाड़ी में बैठाकर ले गयी .उनका व्यवहार अशोभनिया था .धमकी भरा था .भीड़ जुटने पर 500 मीटर दूर जाकर छोड़ा.बाद में सफ़ाई दी मुझे दलित ऐक्टिविस्ट समझ बैठे.
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दलित एक्टिविस्ट समझकर RSS नेता राकेश सिन्हा को जीप में उठा ले गई नोएडा पुलिस, भीड़ जुटी तब छूटे