शिमला. कारगिल शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के पिता को यूपीए सरकार के बाद मौजूदा मोदी सरकार से भी निराशा हाथ लगी है. उन्हें अब न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट से ही उम्मीद है. सौरभ के पिता एन.के. कालिया ने कहा कि चाहे वह यूपीए हो या एनडीए दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. […]
शिमला. कारगिल शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के पिता को यूपीए सरकार के बाद मौजूदा मोदी सरकार से भी निराशा हाथ लगी है. उन्हें अब न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट से ही उम्मीद है. सौरभ के पिता एन.के. कालिया ने कहा कि चाहे वह यूपीए हो या एनडीए दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. मुंबई हमले के हमलावरों और पाकिस्तान सेना से निपटने के मोदी सरकार के रुख से हैरान एन.के. कालिया ने कहा कि भारत पाकिस्तान को लेकर अपनी नीतियों पर भ्रम की स्थिति में हैं.
गौरतलब है कि वर्ष 1999 में कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ की खबर सबसे पहले सौरभ कालिया ने दी थी. उन्हें पांच अन्य सैनिकों के साथ पाकिस्तानी सैनिकों ने बंदी बना लिया था और कुछ सप्ताह बाद उनका क्षत-विक्षत शव उनके परिवार को सौंप दिया था. पीड़ित परिवार को उम्मीद थी कि युद्ध अपराध का यह मुद्दा भारत सरकार अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाएगी, लेकिन केंद्र में एनडीए के बाद यूपीए, यूपीए-2 और फिर एनडीए की सरकार आई. आस बंधी थी, लेकिन मौजूदा सरकार ने भी स्पष्ट कर दिया कि वह अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में शहीद सौरभ कालिया संबंधी मुकदमा नहीं लड़ेगी.
‘मेल टुडे’ में मोदी सरकार के आए बयान के बाद मीडिया में किरकिरी होती देख विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हालांकि सोमवार को बयान दिया कि अगर सुप्रीम कोर्ट अनुमति देगा तो भारत सरकार यह मामला अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में ले जाएगी. काउंसिल ऑफ साइंटिस्ट एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) में वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद से सेवानिवृत्त 64 वर्षीय कालिया ने कहा, ‘यह थोड़ा आश्चर्यजनक है कि भारत मुंबई हमले के षड्यंत्रकारियों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार कर रहा है लेकिन अपने राष्ट्रीय नायकों के लिए नरम रुख बनाए हुए है, क्यों?’
उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान दोस्त है या दुश्मन, इसको लेकर भारत पूरी तरह से भ्रमित है. यह मेरे उन पिछले 16 वर्षो का व्यक्तिगत अनुभव है, जब मैंने देश के लिए अपने बेटे को खोया था.’ नवंबर 2013 में पूर्ववर्ती मनमोहन सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में स्पष्ट किया था कि वह पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा कालिया के साथ किए गए अत्याचारों को युद्ध अपराध की तरह नहीं देखती है.
केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि इस मुद्दे को जेनेवा कन्वेंशन के तहत उठाने का उसका कोई इरादा नहीं है.
कालिया ने कहा कि यही मत मौजूदा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार का है. बीजेपी ने सत्ता में आने से पहले खुद को पाकिस्तान के धुर विरोधी के रूप में पेश किया था. उन्होंने कहा, ‘पूर्व की सरकार की तरह ही केंद्र की बीजेपी सरकार का रुख नरम है. यह विदेश राज्यमंत्री वी.के. सिंह के सांसद राजीव चंद्रशेखर को दिए उत्तर से स्पष्ट हो गया.’
सौरभ कालिया के मामले को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने के चंद्रशेखर के सवाल का उत्तर देते हुए वी.के. सिंह ने कहा था, “पाकिस्तान के इस जघन्य अपराध की ओर पहले ही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया जा चुका है। साथ ही 22 सितंबर, 1999 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा और अप्रैल 2000 में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में भारत बयान दे चुका है। अंतरराष्ट्रीय कोर्ट से कानूनी तौर पर न्याय पाने के विकल्प पर भी गंभीरता से विचार किया गया, लेकिन यह व्यावहारिक नहीं लगा।”
चंद्रशेखर ने सौरभ कालिया और पांच अन्य सैनिकों के साथ पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए अत्याचार को युद्ध अपराध घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के समक्ष भी इस मुद्दे को ले जाने की मांग की. शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के पिता अब हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में रहते हैं. उन्हें अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट से ही उम्मीद है, जहां पर इस मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को होनी है. (IANS)