आरोही का पर्दाफाश करने के लिये विराज दुर्गा का सहरा लेता है लेकिन घायल शेरनी की तरह आरोही दुर्गा पर ऐसे बरसती है जैसे कभी खूनी तारा अपने दुश्मनो को मारती थी आरोही के इस रूप को देखखर घर वाले मान ही लेते हैं कि वो तारा हैं लेकिन क्या विराज को आरोही का ये रूप सच्चा लगा.
नई दिल्ली: सर पर खून सवार आरोही को विराट शिमला की जेलर दुर्गा के साथ एक कमरे में ये पता लगाने के लिये बंद करवा देता है कि वो आरोही है की नही, दुर्गा शुरू में तो आरोही को काफी डराती धमकाती है लेकिन अचानक बंद कमरे में कुछ ऐसा होता है कि आरोही दुर्गा को बुरी तरह से मारती हुई लाती है. घरवालों के सामने आरोही बिलकुल तारा के ही अंदाज में दुर्गा को जान से मार डालने की धमकी देती है और चाकू से उसपर वार करती है. लेकिन बीच में दीप के आ जाने से वो बच जाती है और वहां से भाग जाती है.
तारा यानि आरोही अपनी मां को कहती है कि विराज उसपर इसलिये शक कर रहा है क्योंकि वो चाहता है कि सारी जायदाद उसके नाम हो जाए तारा की मां विराज को आरोही से माफी मांगने के लिये कहती हैं, वहीं आरोही के लिये सबसे बड़ी चिंता है कि वो कैसे दीप से होनेवाली अपनी शादी को रोके. आरोही चवन्नी के घर जाती है और प्लान बनाती है कि वो शादी के मंडप पर तारा को दीप के साथ बिठा देगी. लेकिन तारा उसे कहती है कि वो जैसे ही वहां से छूटेगी वो उसे मार देगी.
तारा से माफी मांगने के बाद तो विराज का गुस्सा सातवें आसमान में पहुंच जाता है वो सुनंदा को कहता है कि उसने भी तारा पर आरोही होने का शक किया था फिर क्यों अकेले विराज को मांफी मांगनी पड़ी वो कहता है कि वो ये साबित कर के रहेगा कि घर में रह रही लड़की तारा नही बल्कि आरोही ही है. वहीं आरोही किसी भी हालत में दीप से शादी नही करना चाहती है. देखना है कि कल होने वाली मेंहदी में कैसे आरोही अपनी जगह तारा को बैठाएगी आरोही कौन सी ऐसी चाल चलेगी जिससे तारा बिना मुंह खोले मेहंदी की रस्म में चुपचाप बैठेगी.