Hanuman Jayanti 31 March 2018: पवन पुत्र हनुमान का जन्म चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को माता अंजनी के उदर से हुआ था. कहा जाता है कि श्री हनुमान ही मातंग ऋषी के शिष्य थे. सूर्य देव और नारद जी से भी इन्होनें कई गूढ़ विद्याएं सीखीं. चैत्र माह की पूर्णिमा के दिन हुनमान का जन्म हुआ इसलिए इन श्री हनुमान जयंती मनाते हैं
नई दिल्ली. चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है. वैसे तो पूरे वर्ष में हनुमान जयंती दो दिन मनायी जाती है. एक उनके जन्म दिवस के रूप में एवं एक उनके विजय अभिनंदन के रूप में मनायी जाती है.
चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को क्यों मनायी जाती है हनुमान जयंती
पवन पुत्र हनुमान का जन्म चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को माता अंजनी के उदर से हुआ था. पैदा होते ही उन्हें बहुत जोर से भूख लगी, ऊपर आकाश की तरफ देखा तो चमकते सूर्य को फल समझकर उस तरफ उसे खाने के लिए उड़ने लगे. पूर्णिमा में सूर्य के पास राहु के भी होने से हनुमान को राहु समझ कर इंद्र देव ने उन पर वज्र का प्रहार किया. इससे उनकी ठोड़ी में चोट लगी एवं वह थोड़ा सा टेडी हो गयी. इसी वजह से पवन पुत्र का नाम हनुमान भी पड़ा. इस वर्ष हनुमान जयंती 31 मार्च को पड़ रही है.
दीपवली में क्यों मनायी जाती है हनुमान जयंती
दूसरी जयंती कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को दीपावली की दिन मनायी जाती है. माता सीता को एक दिन सिन्दूर मांग में एवं माथे में लगते हुए हनुमान जी ने देखा, उनकी जिज्ञासा बड़ी एवं उन्होंने माता से पूछ ही डाला की हे माते ये आप माथे में क्या लगती हैं. माता सीता ने उन्हें बताया की ये सिंदूर है एवं वह इसे भगवान राम के सौभाग्य वृद्धि एवं लम्बी उम्र के लिए लगती हैं. राम भक्त हनुमान जी को जब ऐसा मालूम पड़ा तो उन्होंने पूरा सिन्दूर उठा कर अपने ऊपर मल लिया. माता सीता ने उनसे ऐसा करने का कारण पूछा तो कहने लगे की जब मेरे प्रभु को यह सिन्दूर इतना प्रिय है तो मैंने भी इसे अपने ऊपर पूरा मल लिया है. माता सीता उनकी भक्ति देखकर अत्यंत प्रसन्न हुईं एवं उन्हें विजय एवं अमरता का वरदान दिया. इसीलिए दिवाली के दिन भी हनुमान जयंती मनाया जाता है.
हनुमान जयंती पूजन विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान आदि कर स्वच्छ होकर, श्री राम परिवार सहित हनुमान जी की प्रतिमा का षोडशोपचार द्वारा पूजन करें. उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं, फिर कच्चे दूध से एवं फिर गंगाजल से स्नान कराएं. हनुमान जी को सिन्दूर का चोला बहुत पसंद है. नारंगी सिन्दूर में थोड़ा सा चमेली के तेल को मिला कर चोला बनाएं एवं पांव से सर की तरफ लेप लगाएं. इस प्रक्रिया को पांच बार करें, उन्हें धूप दीप, फल फूल आदि अर्पित करें. गुलाब के फूल, गेंदे , सुरजमुखी के फूल अर्पित करें. हनुमान जी को भोग में बूंदी के लड्डू, काले चने, बूंदी या किसी भी प्रकार का गुड़ का बना मीठा अवश्य अर्पण करें जैसे की रोठ नैवैद्य के रूप में उन्हें बहुत पसंद है.
इसके बाद हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, श्री रमचरतमनस में लिखित सुन्दर काण्ड का पाठ अवश्य करें. हनुमान जी को अमरता प्राप्त है एवं वे अभी भी जीवित अवस्था में अपने भक्तों का भला करते हैं. उनके दुःख हरते हैं. बल, बुद्धि, विद्या का वरदान देने वाले, किसी भी प्रकार के भूत प्रेत से मुक्त करने वाले, नजर दोषों का नाश करने वाले श्री महावीर जी की जो कोई सच्चे मन से पूजा अर्चना करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति तो होती ही है साथ ही में उसकी समस्त मनोकामनाएं भी शीघ्र पूर्ण हो जाती हैं. हनुमान जी की कृपा से आपकी समस्त समस्याओं से मुक्ति मिलती है एवं मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.संध्या के पश्चात हनुमान जी की उपासना शीघ्रतम फलदायिनी होती है. इस दिन प्रातः काल से ही बालाजी एवं समस्त हनुमान पीठों में बजरंगबली का पाठ होता है एवं यह जयंती उत्सव के रूप में मनायी जाती है.
संकट मोचन ध्वज करेगा बाधा मुक्त
हनुमान जयंती के दिन फले श्री राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें, फिर चमेली के तेल का दीपक जलाएं, हनुमान जी पर नतमस्तक होकर उनके इस ध्वज की एवं इस घर की रक्षा करने का आहवाहन करें. उसके पश्चात, घर की छत पर लाल ध्वज जिसमें “जय श्री राम” लिखा हो वह लगाने से किसी भी आने वाले संकट या फिर बाधाओं से मुक्ति मिलती है.
Hanuman Jayanti 2018: कब है हनुमान जयंती, जानें, पूजा शुभ मुहूर्त