नई दिल्ली. आज तक भले चीन समय समय पर भारत को फंसाने की चालें चलता दिखता हो लेकिन अब बाजी पलटती दिख रही है. भारत ने चीन को कूटनीतिक स्तर पर घेरने की पूरी तैयारी कर ली है. यह बात साफ़ तौर पर प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति में देखी जा सकती है. दरअसल लाल किले की प्राचीर से मोदी के भाषण में बलूचिस्तान का जिक्र एक तीर से कई लक्ष्य भेदने में कामयाब रहा है.
इस से एक तरफ पाकिस्तानी सेना की प्रताड़ना की शिकार पीओके और बलूचिस्तान की जनता के जख्मों पर मरहम लगा और वहीं पाकिस्तान इस मुद्दे पर भड़क गया. इतना ही नहीं पाकिस्तान के सबसे बड़े हमदर्द चीन भी इस से इतना तिलमिला गया कि वहां के सरकारी मीडिया ने यह तक कह दिया कि नरेंद्र मोदी अपना आपा खो बैठे हैं.
इसके अलावा चीनी थिंक टैंक ने भारत को चेतावनी के रूप में यह तक कह दिया कि बलूचिस्तान में उसके 46 अरब डॉलर की लागत से तैयार हो रहे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को भारत की वजह से कोई नुक्सान होता है तो चीन को कड़ा कदम उठाना पड़ेगा. वहीं पाकिस्तान के खिलाफ गिलगित, बलूचिस्तान और पीओके में भड़की विद्रोह की आग सिंध प्रांत तक पहुंच गई. इसी सोमवार को सिंध के मीरपुर ख़ास में आज़ादी के नारे गूंजे.
इन सबके अलावा सिंधी और बलूचिस्तान के नेताओं ने लंदन में चीनी दूतावास के सामने प्रदर्शन किया. यहां ‘पीएम मोदी फॉर बलूचिस्तान’ के नारे भी लगे. वहीं भारत के दौरे पर आये म्यांमार के राष्ट्रपति तिन क्यॉ को मोदी ने सवा अरब भारतवासियों के साथ होने का भरोसा दिलाया. दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ेंगे. यह सहयोग इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है कि चीन म्यांमार का करीबी रहा है और वहां तेजी से प्रभाव बढ़ा रहा है.
इतना ही नहीं सोमवार को अमेरिका और भारत के बीच हुए एक अहम समझौते के अनुसार दोनों देश रक्षा क्षेत्र के साजो सामान इस्तमाल करने के मामले में साझेदार बनेंगे. इसके अलावा अगले महीने होने वाली जी-20 की शिखर बैठक में मोदी वियतनाम जाने वाले हैं. यह पिछले 15 सालों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली वियतनाम यात्रा तो होगी ही साथ ही यह दक्षिण पूर्व एशिया में भारत की बढ़ती रणनीतिक मौजूदगी का भी संकेत होगी.