केंद्र सरकार ने दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिए जाने के फैसले का विरोध किया है. एनडीए सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में पूर्व यूपीए सरकार के फैसले को गलत ठहराते हुए एक हलफनामा दिया है. केंद्र सरकार ने कहा कि जामिया अल्पसंख्यक संस्था इसलिए भी नहीं है क्योंकि इसे संसद एक्ट के तहत बनाया गया है. केंद्र सरकार जामिया मिलिया इस्लामिया को फंड मुहैया कराती है. एक तरह से देखा जाए तो एनडीए सरकार पूर्व की यूपीए सरकार के फैसले को पलटने की तैयारी कर रही है.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिए जाने का विरोध किया है. इस मामले में सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में इसे गलत ठहराते हुए एक हलफनामा दिया है. एक तरह से देखा जाए तो एनडीए सरकार पूर्व की यूपीए सरकार के फैसले को पलटने की तैयारी कर रही है. केंद्र सरकार की ओर से दिए गए हलफनामे में कहा गया है कि ऐसा जरुरी नहीं है कि जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के बोर्ड का निर्वाचन हो और यह भी जरुरी नहीं है कि इसमें मुस्लिम धर्म को मानने वालों की ही अधिकता हो. ऐसे में जामिया यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक संस्थान होने का सवाल ही नहीं उठता.
केंद्र सरकार ने हलफनामे में यह बात भी जोड़ी है कि जामिया अल्पसंख्यक संस्था इसलिए भी नहीं है क्योंकि इसे संसद एक्ट के तहत बनाया गया है. केंद्र सरकार जामिया मिलिया इस्लामिया को फंड मुहैया कराती है. केंद्र सरकार ने कोर्ट में अजीज बाशा बनाम भारत गणराज्य केस (साल 1968) का हवाला देते हुए बताया है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जो यूनिवर्सिटी संसद एक्ट के तहत शामिल है और सरकार से फंड लेती है उसे अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा नहीं माना जा सकता.
बता दें कि यूपीए सरकार के दौरान 2011 में नेशनल कमीशन फॉर माइनॉरिटी एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स (एनसीएमईआई) ने कहा था कि जामिया की स्थापना मुस्लिमों द्वारा, मुस्लिमों के फायदे के लिए की गई थी. यह संस्थान अपनी मुस्लिम पहचान को कभी नहीं छोड़ेगा. जिसके बाद जामिया ने SC, ST और OBC छात्रों को आरक्षण देने से इनकार कर दिया था. यूनिवर्सिटी में 30 प्रतिशत सीटें जहां मुस्लिम छात्रों के लिए वहीं 10 प्रतिशत मुस्लिम महिलाओं के लिए और 10 प्रतिशत मुस्लिम पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कर दी गईं.
बताते चलें कि साल 2011 में एनसीएमईआई ने जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिया था. कांग्रेस सरकार में तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने एनसीएमईआई के फैसले का समर्थन किया था. सिब्बल की ओर से कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर जामिया के अल्पसंख्यक संस्थान होने की बात मानी थी.
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