कल यानि बुधवार को नवरात्र का चौथा यानि मां कुष्मंडा का दिन है. इस महामंत्र के बिना कल आपकी पूजा अधूरी है. मंत्र - “ऊँ देवी कूष्माण्डायै नमः”. अब जरा मां कुष्मांडा का बीजमंत्र नोट कर लीजिए- ऐं ह्री देव्यै नम: आपको मां के महामंत्र और बीजमंत्र कम कसे कम एक माला जप करना है.
नई दिल्ली. कल यानि बुधवार को नवरात्र का चौथा दिन है. इस दिन फैमिली गुरु में जय मदान ने बताया कि मां कुष्मांडा को कैसे प्रसन्न करें. सबसे पहले आपको मां कुष्मांडा का महामंत्र जान लीजिए. इस महामंत्र के बिना कल आपकी पूजा अधूरी है. मंत्र – “ऊँ देवी कूष्माण्डायै नमः”. अब जरा मां कुष्मांडा का बीजमंत्र नोट कर लीजिए- ऐं ह्री देव्यै नम: आपको मां के महामंत्र और बीजमंत्र कम कसे कम एक माला जप करना है. कल अगर आप ये करना भूल गए तो मां प्रसन्न नहीं होंगी. मां कुष्मांडा की श्रद्धा से पूजा करने से शारीरिक और मानसिक परेशानियां दूर होती हैं. तो चलिए अब आपको माता की पूजा कैसे करनी है उसके बारे में जान लीजिए. दुर्गा पूजा के चौथे दिन देवी कूष्माण्डा की पूजा का विधि भी वैसी ही है जैसी शक्ति के अन्य रुपों को पूजा की जाती है.
माँ कूष्माण्डा को रात की रानी के फूल बेहद पसंद है इसलिए नवरात्र के चौथे दिन आप पूजा में ये फूल जरुर रखिए. सबसे पहले कलश और उसमें उपस्थित देवी देवता की पूजा करें. फिर अन्य देवी देवताओं की पूजा करें. इनकी पूजा के साथ देवी कूष्माण्डा की पूजा करें.
पूजा की विधि शुरू करने से पहले हाथों में रात की रानी के फूल लेकर देवी को प्रणाम करें. पवित्र मन से देवी का ध्यान करते हुए. ‘सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे’ मंत्र का जाप करना चाहिए. देवी की पूजा के बाद महादेव और परम पिता की पूजा करनी चाहिए. श्री हरि की पूजा देवी लक्ष्मी के साथ ही करनी चाहिए. इससे भक्त व श्रद्धालुओं को भगवती कूष्माण्डा सफलता और सुख प्रदान करती हैं.
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