नई दिल्ली. सभी इंटरनेट यूजर्स के लिए आज खुशी का दिन है. इंटरनेट पर हम जो चाहे देख और सुन सकते हैं, सैकेंडों में किसी भी वेबसाइट पर पहुंचकर मनचाही सूचना ले सकते हैं. इस सबकी शुरुआत हुई थी आज ही के दिन यानी ‘इंटरनॉट डे’ पर.
23 अगस्त के ही दिन 25 साल पहले वर्ल्ड वाइड वेब (www) को इंटरनॉट्स (इसे बनाने वाले) ने आम लोगों के इस्तेमाल के लिए खोल दिया गया था. इसके साथ ही लोगों को लिखित, चित्र, वीडियो और आॅडियो किसी भी सूचना को प्राप्त करने के लिए एक बेहतरीन तकनीक मिल गई, जिसने उनकी जिंदगी ही बदल दी.
कौन होते हैं इंटरनॉट्स
इंटरनॉट्स वे लोग होते हैं, जो इंटरनेट के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हुए उसका उपयोग करते हैं. वो इस वर्चुअल स्पेस में मौजूद संभावनाओं को खोजकर आम लोगों तक पहुंचाते हैं. वह इंटरनेट का अत्यधिक इस्तेमाल करते हैं और सर्च इंजन, इंटरनेट रिसोर्सेज, फोरम, न्यूजग्रुप्स और चैट रूम्स का जानकारी पाने के लिए कैसे उपयोग करना है, ये अच्छी तरह जानते हैं. यह शब्द इंटरनेट और एस्ट्रोनॉट से मिलकर बना है.
वर्ल्ड वाइड वेब बनने का सफर
वर्ल्ड वाइड वेब सूचना प्राप्त करने की एक ऐसी जगह है जहां यूआरएल के जरिए किसी सूचना को हर जगह एक जैसा प्राप्त किया जा सकता है. इसके निर्माण का श्रेय टिम बर्नर्स-ली को जाता है, जिन्होंने वर्ष 1989-1991 के दौरान इस पर काम किया था. बर्नर्स ली सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. उन्होंने स्विट्जरलैंड में स्थित कंपनी सर्न लैबरोटरी में इसे विकसित किया.
इसकी सफलता के बाद पहली बार 23 अगस्त को आम लोगों ने वर्ल्ड वाइड वेब का उपयोग किया था. वर्ल्ड वाइड वेब बनने से पहले हर कंप्यूटर पर अलग जानकारी होती थी. आपको उसके लिए सभी में अलग से लॉगइन करना पड़ता था. कभी-कभी हर कंप्यूटर पर अलग-अलग प्रोग्राम सीखने पड़ते थे.
सूचना तक आसानी से पहुंच और उसके सरल आदान-प्रदान के लिए बर्नर्स ली को वर्ल्ड वाइड वेब बनाने का विचार आया. उन्होंने इसके लिए अपनी कंपनी में प्रस्ताव दिया लेकिन शुरुआत में उन्हें इस पर काम करने की मंजूरी नहीं मिली. फिर भी उनके सीनियर ने बर्नर्स ली को इस आइडिया पर काम करने का मौका दिया. इसके बाद इंटरनेट की दुनिया में क्रांति ही आ गई. बाद में वर्ल्ड वाइड वेब को आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया और आज तरक्की करते हुए हम यहां तक पहुंच गए हैं.