मुंबई. अगर आप आॅनलाइन पाइरेटेड फिल्म देखते हैं या इंटरनेट से ऐसी फिल्में डाउनलोड करते हैं, तो आपको सावधान हो जाना चाहिए. बॉम्बे हाइकोर्ट के आदेश के मुताबिक कॉपीराइट के तहत आने वाली सामग्री की अवैध कॉपी को देखने, दिखाने, उसे डाउनलोड करने या उसकी नकली कॉपी बनाने पर तीन साल की सजा या तीन लाख तक का जुर्माना हो सकता है.
पाइरेटेड सामग्री को ढूंढते हुए आप ब्लॉक की गई वेबसाइट तक पहुंच सकते हैं और आपको स्थानीय सर्विस प्रोवाइडर से सख्त चेतावनी भी मिल सकती है क्योंकि बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर कई वेबसाइट के यूआरएल ब्लॉक कर दिए गए हैं. जुलाई में हाइकोर्ट ने ‘ढिशूम’ फिल्म के निर्माताओं की अपील पर 134 वेब लिंक और यूआरएल को ब्लॉक कर दिया था. निर्माताओं ने कोर्ट से आॅनलाइन पाइरेसी के जरिए हो रहे उनकी फिल्म के अवैध वितरण को रोकने की गुहार लगाई थी.
हालांकि, इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले सभी लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. वरिष्ठ कानूनी जानकारों के मुताबिक सिर्फ ब्लॉक वेबसाइट पर जाने से ही सजा नहीं होगी. अगर आप बार-बार उस वेबसाइट पर जाते हैं या पाइरेटेड फिल्म तक पहुंचते हैं तब कानून के तहत सजा हो सकती है.
फिल्म निर्माताओं और कानूनी ईकॉमर्स साइट्स के बीच संतुलन बनाते हुए न्यायाधीश गौतम पटेल ने अपने आदेश में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को निर्देश दिया है कि वे ब्लॉक वेबसाइट पर एक डिस्क्लेमर चलाएं कि यह साइट कोर्ट के आदेश के कारण उपलब्ध नहीं है. साथ ही आदेश का उल्लंघन पर क्या सजा हो सकती है इसका भी उल्लेख करें. लेकिन, एक सर्विस प्रोइडर टाटा कम्यूनिकेशन लिमिटेड ने कोर्ट से निवेदन किया था कि तकनीकी रूप से यह संभव नहीं है. कोर्ट ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए डिस्क्लेमर लगाने के निर्देश दिए हैं.
हालांकि, कोर्ट ने यह भी चिंता जताई कि इन फैसलोें का असर कानूनी रूप से कारोबार कर रहीं वेबसाइट्स पर नहीं पड़ना चाहिए. वहीं, अगर कुछ यूआरएल के ब्लॉक होने से यूजर्स पीड़ित हैं, तो उन्हें इसके निवारण के लिए 48 घंटे के भीतर नोडल अधिकारी से संपर्क करना चाहिए.’