मेरठ में नकल माफियाओं ने 600 अयोग्य छात्रों को बनाया डॉक्टर. अब CCSU ने बदला परीक्षा का तरीका

उत्तर प्रदेश पुलिस की एसटीएफ ने एक बड़े नकल माफिया गैंग का पर्दाफाश किया है. यह गैंग पैसे लेकर छात्रों को पास कराता था. इसके लिए ये कापियां बदलते थे. इसमें विश्वविद्यालय के दो संविदा कर्मी भी शामिल थे. यह गैंग पिछले चार साल में 600 अयोग्य छात्रों को पास करा चुका है.

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मेरठ में नकल माफियाओं ने 600 अयोग्य छात्रों को बनाया डॉक्टर. अब CCSU ने बदला परीक्षा का तरीका

Aanchal Pandey

  • March 18, 2018 9:31 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

मेरठ: उत्तर प्रदेश पुलिस की एसटीएफ ने एक बड़े नकल माफिया गैंग का पर्दाफाश किया है. यह गैंग फर्जी तरीके से 600 अयोग्य लोगों को डॉक्टर बनवा चुका है. एसटीएफ ने इस रैकेट के सरगना कविराज सिंह सहित चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है. इस गिरोह का एक और सदस्य सीपी सिंह अभी पुलिस के शिकंजे से बाहर है, वह भी यूनिवर्सिटी का पूर्व कर्मचारी है. इनमें एक आरोप पांचवीं पास है वहीं बाकी दो इंटरमीडिएट पास हैं. कम पढ़े लिखे होने के बावजूद भी वे चार साल से बहुत सफाई से मुन्नाभाई तैयार कर रहे थे.

एसटीएफ के मुताबिक, कविराज ने यूनिवर्सिटी के उत्तर पुस्तिका अनुभाग के प्रभारी पवन कुमार और दो संविदा कर्मचारी (कपिल और संदीप) की मदद से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया. इस गैंग ने मेडिकल के छात्रों से 1 से 1.5 लाख, जबकि यूनिवर्सिटी में दूसरे प्रफेशनल कोर्स के छात्रों से 30 हजार से 40 हजार रुपये लिए. एसटीएफ ने बताया कि ये लोग 10 हजार रुपये में यूनिवर्सिटी से खाली उत्तर पुस्तिकाएं उपलब्ध कराते थे. इसके बाद एक विषय में पास कराने के एवज में पैसे वसूलते थे. पुरानी उत्तर पुस्तिका के कवर पेज बदलकर उन्हें नई उत्तर पुस्तिका से बदल दिया जाता था. इस मामले के पर्दाफाश होने के बाद जिसने भी सुना वह सन्न रह गया. अब इस फर्जीवाड़े से पास हुए परीक्षार्थियों पर भी जांच की आंच गिर सकती है.

इस समय सीसीएसयू से संबंधित पांच कॉलेजों में एमबीबीएस की परीक्षा चल रही है. इसमें 1300 छात्र परीक्षा दे रहे हैं. ऐसे में इस फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद यूनिवर्सिटी ने अतिरिक्त सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है. अभी तक यूनिवर्सिटी से एक ऑब्जर्वर परीक्षा शुरू होने के आधे घंटे पहले कॉलेज पहुंचता था और परीक्षा के बाद उत्तर पुस्तिका लाकर यूनिवर्सिटी के स्टोर में जमा कराता था. अब इस प्रक्रिया में थोड़ा बदलाव किया गया है. अब यह ऑब्जर्वर उत्तर पुस्तिका लाकर सीधे बार कोडिंग सेंटर में देगा. वहां बार कोडिंग होने के बाद उसी दिन उत्तर पुस्तिकाएं मूल्यांकन के लिए भेजी जाएंगी.

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