कांग्रेस नेता राहुल गांधी के 'सूट बूट की सरकार' के कटाक्ष का कड़ा जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'निश्चित रूप से सूट बूट, सूटकेस की तुलना में ज्यादा स्वीकार्य है.' प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक 'मेरे लिए जीवन और मरण का सवाल नहीं है' और वह कोई भी सुझाव स्वीकार करने के लिए तैयार हैं.
नई दिल्ली. कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ‘सूट बूट की सरकार’ के कटाक्ष का कड़ा जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘निश्चित रूप से सूट बूट, सूटकेस की तुलना में ज्यादा स्वीकार्य है.’ प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक ‘मेरे लिए जीवन और मरण का सवाल नहीं है’ और वह कोई भी सुझाव स्वीकार करने के लिए तैयार हैं.
उन्होंने कहा, ‘सूटबूट निश्चित रूप से सूटकेस से अधिक स्वीकार्य है. 60 सालों तक शासन करने के बाद कांग्रेस को अचानक गरीबों की याद आई है. कांग्रेस की अदूरदर्शी नीतियों के कारण इस देश के लोगों ने परेशानियां सही हैं और लोग गरीब के गरीब हैं.’ कांग्रेस की बखिया उधेड़ते हुए मोदी ने कहा, ‘क्या कोयला और स्पैक्ट्रम घोटालों या सीडब्ल्यूजी घोटाले से गरीबों को फायदा हुआ? हर किसी को पता है कि फायदा किसको हुआ… कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों और ठेकेदारों को.’
वहीं द ट्रिब्यून अखबार में छपे इंटरव्यू में विवादास्पद भूमि विधेयक पर प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह मेरे लिए जिंदगी और मौत का सवाल नहीं है. और न ही यह मेरी सरकार या मेरी पार्टी का एजेंडा है.’ उनकी यह टिप्पणियां काफी मायने रखती हैं, क्योंकि कैबिनेट ने आज तीसरी बार इस पर अध्यादेश जारी करने का फैसला किया. मोदी ने कहा कि भूमि विधेयक का विरोध ‘पूरी तरह अनुचित और दुर्भाग्यपूर्ण’ है. उन्होंने तर्क दिया कि सरकार ने निजी उद्योग के लिए कोई बदलाव नहीं किए हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमने केवल राज्यों की मांग के मद्देनजर बदलाव किए हैं। इन बदलावों का फायदा सिंचाई, आवास, विद्युतीकरण और साथ ही बेहतर सामाजिक ढांचे के रूप में ग्रामीण गरीबों को भी मिलेगा. ‘ इसके अलावा प्रधानमंत्री ने पूर्व सैनिकों के लिए ‘एक रैंक, एक पेंशन’ (ओआरओपी) के मुद्दे पर चल रहे विवाद के संबंध में दैनिक से कहा, ‘हम ओआरओपी के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन हम ओआरओपी की परिभाषा के संबंध में रक्षाकर्मियों से विचार विमर्श कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार पांच साल के लिए है और हम संबंधित लोगों से विचार विमर्श किए बिना कुछ नहीं कर सकते. बातचीत काफी तेजी से की जा रही है. इस संबंध में किसी शक शुबहे की जरूरत नहीं है.’
IANS