चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी में भारत, बॉर्डर पर सैन्य शक्ति बढ़ाई

भारत ने चीन के खिलाफ अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाना शुरु कर दिया है. चीन की सीमा से लगे बॉर्डर और रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण अंडमान निकोबार द्बीप समूह पर अपनी सैन्य क्षमताओं में इजाफा कर रहा है.

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चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी में भारत, बॉर्डर पर सैन्य शक्ति बढ़ाई

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  • August 17, 2016 4:43 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. भारत ने चीन के खिलाफ अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाना शुरु कर दिया है. चीन की सीमा से लगे बॉर्डर और रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण अंडमान निकोबार द्बीप समूह पर अपनी सैन्य क्षमताओं में इजाफा कर रहा है. अंडमान निकोबार में सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट के अतिरिक्त बेड़े को तैनात किया गया है. साथ ही नॉर्थ-ईस्ट में खुफिया ड्रोन और मिसाइल की तैनाती के साथ ही ईस्टर्न लद्दाख में टैंक रेजिमेंट्स और सैनिकों की संख्या भी बढ़ाई गई है.
 
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भारत ने यह कदम चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की ओर से मिल रही चुनौतियों को देखते हुए उठाया है. इसके तहत मिलिट्री फोर्स लेवेल्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर दोनों को बढ़ाने का भी प्लान है. साथ ही पिछले शुक्रवार को  एयरफोर्स ने अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी सियांग जिले में पासीघाट एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (ALG) को भी एक्टिवेट कर दिया है. इस लैंडिग ग्राउंड से एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टरों को अब ऑपरेट किया जा सकता है. 
 
 एक अधिकारी ने बताया कि एएलजी केवल सीधे ऑपरेशन में ही मददगार नहीं होगा बल्कि इससे पूर्वी मोर्चे पर एयर ऑपरेशंस को भी बल मिलेगा. इस लैंडिंग ग्राउंड को ‘स्ट्रैटजिक एसेट’ भी कहा जा रहा है. 
 इससे पहले लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी और न्योमा में भी ALG एक्टिवेट किए जा चुके हैं। पासीघाट अरुणाचल प्रदेश का पांचवां एएलजी है. जिरो, एलॉन्ग, मेचुका और वालॉन्ग ALG अब शुरू हो चुके हैं जबकि टटिंग 31 दिसंबर और तवांग अगले साल 30 अप्रैल तक तैयार हो जाएगा.
 
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सरकार ने अंडमान और निकोबार कमांड (ANC) में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के कई प्रोजेक्टों को मंजूरी दे दी है. एएनसी में भारत अपने सुखोई-30MKI फाइटर जेट और C-130J सुपर हरक्युलस एयरक्राफ्ट की तैनाती पहले ही शुरू कर चुका है. यहां लॉन्ग रेंज पेट्रोल और एंटी-सबमरीन वारफेयर पोसेडियन-8I एयरक्राफ्ट को भी तैनात किया गया है. भारत ये कदम उठाकर हिंद महासागर एरिया में चीन की रणनीतिक गतिविधियों पर लगाम लगाना चाहता है. 
 
इतनी तैयारियों के बावजूद भी कुछ ऐसे फ्रंट हैं जो अभी भी भारत की कमजोरी बने हुए हैं. 4057 किलोमीटर लंबे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर खराब रोड और रेल कनेक्टिविटी एक बड़ी समस्या है.

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