मां के एक रूप का नाम ‘कुष्मांडा’ है. ब्रह्मांड की निर्माता के रूप में जानी जाती है जो उनके प्रकाश के फैलने से निर्माण होता है. वह सूर्य की तरह सभी दस दिशाओं में चमकती रहती है.
नई दिल्ली. इंडिया न्यूज के कार्यक्रम फैमिली गुरु में जय मदान ने नवरात्र से पहले हर भक्त को मां के नौ रुपों की जानकारी दी. क्योंकि जब तक आप अपनी देवी मां को नहीं पहचानेंगे तब तक उन्हें समझ कैसे पाएंगे. इसे आप भी जानिए और अपने बच्चों को भी जरुर बताएं-
शैलपुत्री
मां का पहला रुप है ‘शैलपुत्री’ जो पर्वत हिमालय की बेटी है और नौ दुर्गा में पहली रूप है , पिछले जन्म में वह राजा दक्ष की पुत्री थी. एक बार दक्षा ने भगवान शिव को आमंत्रित किए बिना एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया था देवी सती वहा पहुँच गयी और तर्क करने लगी. उनके पिता ने उनके पति (भगवान शिव) का अपमान जारी रखा था ,सती भगवान् का अपमान सहन नहीं कर पाती और अपने आप को यज्ञ की आग में भस्म कर दी , दूसरे जन्म वह हिमालय की बेटी पार्वती- हेमावती के रूप में जन्म लेती है और भगवान शिव से विवाह करती है.
ब्रह्माचारिणी
अब उनका दूसरा रुप जानिए मां दुर्गा को दूसरा रुप ‘ब्रह्माचारिणी’ है. ‘ब्रह्मा’ शब्द का अर्थ है ‘तप’. मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति बहुत ही सुन्दर है. उनके दाहिने हाथ में गुलाब और बाएं हाथ में पवित्र पानी के बर्तन ( कमंडल ) है. मां ब्रह्मचारिणी पूरे उत्साह से भरी हुई है .
चंद्रघंटा
तीसरी शक्ति का नाम है ‘चंद्रघंटा’ जिनके सर पर आधा चन्द्र (चाँद ) और बजती घंटी है. वह शेर पर बैठी संगर्ष के लिए तैयार रहती है. उनके माथे में एक आधा परिपत्र चाँद ( चंद्र ) है. वह आकर्षक और चमकदार है. 3 आँखों और दस हाथों में दस हतियार पकडे रहती है और उनका रंग सुनहरा है. मां बहुत हिम्मती है और इनके भक्तों को भी हिम्मत मिलती है.
कुष्मांडा
मां के चौथे रूप का नाम ‘कुष्मांडा’ है . ब्रह्मांड की निर्माता के रूप में जानी जाती है जो उनके प्रकाश के फैलने से निर्माण होता है. वह सूर्य की तरह सभी दस दिशाओं में चमकती रहती है. उनके पास आठ हाथ है ,सात प्रकार के हतियार उनके हाथ में चमकते रहते है. उनके दाहिने हाथ में माला होती है और वह शेर की सवारी करती हैं.
स्कंद माता
देवी दुर्गा का पांचवां रूप है ‘स्कंद माता’, हिमालय की पुत्री , उन्होंने भगवान शिव के साथ शादी कर ली थी . उनका एक बेटा था जिसका नाम “स्कन्दा ” था स्कन्दा देवताओं की सेना का प्रमुख था . स्कंदमाता आग की देवी है. उनकी तीन आँख और चार हाथ है. वह सफ़ेद रंग की है. वह कमल पैर बैठी रहती है और उनके दोनों हाथों में कमल रहता है.
कात्यायनी
मां दुर्गा का छठा रूप ‘कात्यायनी’ है. एक बार एक महान संत जिनका नाम कता था , जो अपने समय में बहुत प्रसिद्ध थे ,उन्होंने देवी मां की कृपा प्राप्त करने के लिए लंबे समय तक तपस्या करनी पढ़ी ,उन्होंने एक देवी के रूप में एक बेटी की आशा व्यक्त की थी. उनकी इच्छा के अनुसार मां ने उनकी इच्छा को पूरा किया और मां कात्यानी का जन्म कता के पास हुआ मां दुर्गा के रूप में.
कालरात्रि
मां दुर्गा का सातवां रूप ‘कालरात्रि’ है वह काली रात की तरह है, उनके बाल बिखरे होते है, वह चमकीले भूषण पहनती है. उनकी तीन उज्जवल ऑंखें है ,हजारो आग की लपटे निकलती है जब वह सांस लेती है. वह शावा (मृत शरीर ) पे सावरी करती है,उनके दाहिने हाथ में उस्तरा तेज तलवार है. उनका निचला हाथ आशीर्वाद के लिए है. जलती हुई मशाल (मशाल) उसके बाएं हाथ में है और उनके निचले बाएं हाथ में वह उनके भक्तों को निडर बनाती है.
महा गौरी
आठवीं दुर्गा ‘महा गौरी’ है. वह एक शंख , चंद्रमा और जैस्मीन के रूप सी सफेद है, वह आठ साल की है,उनके गहने और वस्त्र सफ़ेद और साफ़ होते है. उनकी तीन आँखें है ,उनकी सवारी बैल है ,उनके चार हाथ है. उनके निचले बाय हाथ की मुद्रा निडर है ,ऊपर के बाएं हाथ में ” त्रिशूल ” है ,ऊपर के दाहिने हाथ डफ है और निचला दाहिना हाथ आशीर्वाद शैली में है.वह शांत और शांतिपूर्ण है
सिद्धिदात्री
मां का नौवां रूप है ‘सिद्धिदात्री’ ,आठ सिद्धिः है , उनके पास कई अदबुध शक्तिया है ,यह कहा जाता है “देवीपुराण” में भगवान शिव को यह सब सिद्धिः मिली है महाशक्ति की पूजा करने से. उनकी कृतज्ञता के साथ शिव का आधा शरीर देवी का बन गया था और वह ” अर्धनारीश्वर ” के नाम से प्रसिद्ध हो गए. मां सिद्धिदात्री की सवारी शेर है ,उनके चार हाथ है.
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