विश्व बैंक द्वारा बुधवार को इंडिया डेवलपमेंट अपडेट की छमाही रिपोर्ट जारी की गई. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में टैक्स की दरें दूसरी सबसे ऊंची हैं. दुनिया के 49 देशों में जीएसटी के एक और 28 देशों में दो टैक्स स्लैव हैं.
नई दिल्ली. केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा लागू किए गए गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) पर विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में सवाल उठाए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी कर सुधार प्रणाली (GST) पर विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में जीएसटी का फॉर्म सबसे जटिल है और इसकी टैक्स दरें दुनिया में दूसरी सबसे ऊंची हैं.
विश्व बैंक द्वारा बुधवार को इंडिया डेवलपमेंट अपडेट की छमाही रिपोर्ट जारी की गई. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में टैक्स की दरें दूसरी सबसे ऊंची हैं. दुनिया के 49 देशों में जीएसटी के एक और 28 देशों में दो टैक्स स्लैव हैं. लेकिन भारत समेत पांच देशों में इसके पांच स्लैब बनाए गए हैं. पांच स्लैब वाले देश हैं- भारत, इटली, लक्जम्बर्ग, पाकिस्तान और घाना. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के अलावा बाकी चार देशों में अर्थव्यवस्था चुनौतियों का सामना कर रही है.
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में सलाह दी है कि टैक्स रेट कम करने के साथ ही कानूनी प्रावधान और प्रक्रियाएं सरल बनाई जाएं. विश्व बैंक ने टैक्स रिफंड की धीमी रफ्तार पर भी चिंता जताई है. रिपोर्ट में टैक्स प्रणाली के प्रावधानों को अमल में लाने पर होने वाले खर्च को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं. साथ ही टैक्स रिफंड की धीमी रफ्तार का असर पूंजी की उपलब्धता पर पड़ने की भी बात कही गई है. विश्व बैंक ने अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों के आधार पर भविष्य में स्थिति में सुधार आने की उम्मीद है.
बता दें कि भारत सरकार द्वारा 1 जुलाई, 2017 को अमल में लाए गए जीएसटी के ढांचे में पांच स्लैब (0, 5, 12, 18 और 28 फीसदी) बनाए गए हैं. सभी वस्तुओं और सेवाओं को इसी दायरे में रखा गया है. हालांकि सरकार ने कई वस्तुओं और सेवाओं को जीएसटी से बाहर रखा है और कुछ पर काफी कम टैक्स लगाए हैं. सोने पर 3 प्रतिशत तो कीमती पत्थरों पर 0.25 फीसदी की दर से टैक्स लगाया है. शराब, पेट्रोलियम और रीयल एस्टेट पर लगने वाला स्टाम्प ड्यूटी और बिजली बिल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है.
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