1993 में मुंबई में हुए सीरियल ब्लास्ट के मास्टरमाइंड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी फारुक टकला ने CBI पूछताछ में दाऊद को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे किए. फारुक ने सीबीआई को बताया कि दाऊद पर 17 बार जानलेवा हमला किया गया और हर बार वह बच निकला. फारुक ने बताया कि पाकिस्तान के गुंडों ने उसे मारने की सुपारी ली थी. कहा गया कि रॉ ने यह हमले करवाए थे. करीब एक हफ्ते पहले फारुक को दुबई से भारत लाया गया. फारुक को भारत लाने में पीएम नरेंद्र मोदी और एनएसए अजीत डोभाल की अहम भूमिका रही है.
नई दिल्लीः अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी फारुक टकला को हाल में दुबई से भारत लाया गया है. सीबीआई फारुक से लगातार पूछताछ कर रही है. पूछताछ में फारुक ने दाऊद के बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. फारुक ने सीबीआई को बताया कि दाऊद को 17 बार मारने की कोशिश की गई. हर बार वह बाल-बाल बचा. फारुक ने बताया कि पाकिस्तान में रह रहे दाऊद को मारने के लिए वहां के गुंडों ने उसकी सुपारी ली थी लेकिन पाकिस्तान आर्मी के जवानों ने दाऊद को बचा लिया.
फारुक ने सीबीआई को आगे बताया कि साल 2003, 2005, 2006 और 2008 में भी दाऊद पर हमले की कोशिश हुई थी. पाकिस्तान के गुंडे जिन्होंने दाऊद की सुपारी ली थी उसे मारने के लिए वह उस अंडा टापू तक तक पहुंच गए थे, जहां उसे एक सेफ हाउस में रखा गया था. पाकिस्तान में यह चर्चा है कि ये हमले भारत की खुफिया एजेंसी रॉ ने करवाए थे. वहीं छोटा राजन के लोगों ने भी 6 बार दाऊद को मारने की कोशिश की. 7 और हमले हुए. एक हमला पिछले साल भी हुआ था लेकिन उसका जिम्मेदार कौन था आज तक पता नहीं चल पाया.
बताते चलें कि जब भी दाऊद को अंडा द्वीप पर छुपाया जाता है तो पाकिस्तानी कोस्ट गार्ड के जवान 24 घंटे पेट्रोलिंग करते हैं और पाकिस्तानी रेंजर्स उसे सिक्योरिटी देते हैं. जब भी भारत से पाकिस्तान पर दाऊद को लेकर दबाव बढ़ता है या कोई भी विदेशी मेहमान पाकिस्तान जाता है तो दाऊद को वहां छुपा दिया जाता है. सैटेलाइट फोन से वो अपने पाकिस्तानी आकाओं के संपर्क में रहता है. अंडा द्वीप ऐसा है कि अगर जरूरत पड़े तो पाकिस्तान वहां से दाऊद को समुद्री रास्ते 6 घंटे में दुबई भेज सकता है.
दाऊद और फारुक टकला की खूब बातचीत होती थी. फारुक ने बताया कि वह दिल की बात करता था. वह भारत आना चाहता है. खासकर जब से वह बीमार रहने लगा है तब से और भी ज्यादा भारत आने की बात कहता है. दाऊद कहता है कि भारत आकर रिश्तेदारों और परिवार वालों से आखिरी बार तो मिल लूंगा, लेकिन वह ये बात पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई या फिर किसी और के सामने नहीं कर सकता. सीबीआई जांच में पता चला कि टकला के पास दाऊद को दुबई और बाकि देशों में उसे रिसीव करने और सुरक्षित पहुंचाने का जिम्मा था.
दाऊद जिस भी देश में जाता टकला उससे पहले वहां पहुंच जाता और हर जानकारी इकट्ठा करता. दाऊद के हर मूवमेंट की खबर फारुक को रहती थी. टकला ने पूछताछ में आगे बताया कि दाऊद सेफ हाउस से समुद्र के रास्ते महज कुछ घंटों में दुबई पहुंचने के लिए इसी सेफ रूट का इस्तेमाल करता था. उमराह जाने के लिए कई बार वह इस रूट का इस्तेमाल करता है. दाऊद के घर में कंट्रोल रूम बना हुआ है, जहां से उसके पूरे बंगले सहित आसपास के क्षेत्रों में सर्विलांस सिस्टम के जरिए मॉनिटरिंग की जाती है.
फारुक ने बताया कि भारतीय एजेंसियों के डर से वह अपनी पहचान छुपाकर और भेष बदलकर दुबई में रह रहा था. भारतीय एजेंसियां उसे लगातार ट्रैक कर रही थीं. इसी बीच एजेंसियों को यह सुराग मिला कि फारुक की भतीजी की शादी का फंक्शन दुबई में होने वाला है, जिसमें दाऊद के सभी रिश्तेदार शामिल होंगे. दरअसल यह फंक्शन फारुक के भाई अमजद लंगड़ा की शादी का था. भारत और दुबई की एजेंसियों के अधिकारी फर्जी मेहमान बनकर उस शादी में पहुंचे. अधिकारियों ने फारुक की पहचान की और उसे पकड़ लिया गया.
जिसके बाद 19 जुलाई, 2017 को यूएई की इंटीरियर मिनिस्ट्री के डीजी (सिक्योरिटी अफेयर्स) ने इंटरपोल पर मैसेज के जरिए इसकी जानकारी दी. सीबीआई हरकत में आई और 3 अगस्त को मुंबई की टाडा कोर्ट से गैर-जमानती वारंट लिया और उसे दुबई रेड कॉर्नर नोटिस संख्या- A -385/7-1995 के साथ भेज दिया. इसी आधार पर भारत ने 22 अगस्त को फारुक के प्रत्यर्पण की अर्जी दी. पाकिस्तान और दाऊद ने फारुक को बचाने की काफी कोशिश की. दरअसल दुबई को फारुक का पाकिस्तानी पासपोर्ट देकर यह कहा गया कि वह पाकिस्तानी नागरिक है और इस आधार पर उसे भारत को नहीं सौंपा जा सकता.
जिसके बाद फारुक के प्रत्यर्पण में पेंच फंस गया लेकिन भारत ने दबाव बनाना जारी रखा. पिछले माह फरवरी में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल पीएम नरेंद्र मोदी के साथ अबु धाबी गए थे. वहां उन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल शेख सैफ बिन जायद अल नाहयान से इस मुद्दे पर अलग से बात की और इस बात के सबूत दिए कि फारुक टकला भारतीय है. डोभाल ने उनके समक्ष फिर से फारुक के प्रत्यर्पण का मुद्दा उठाया और दुबई ऑफिशियल ने उसे भारत भेजने का फैसला किया. फारुक को भारत लाना देश की एक बड़ी राजनयिक जीत है. इससे दाऊद और उसकी डी कंपनी को बहुत बड़ा झटका लगा है.
फारुक टकला उर्फ यासीन मंसूर मोहम्मद ही दाऊद के पूरे दुबई ऑपरेशन को देखता था. वह डॉन के डी सिंडिकेट की रीढ़ की हड्डी था. यह भी कहा जा रहा है कि इस पूरे मिशन का खाका 2015 में ही तैयार कर लिया गया था, जब पीएम मोदी दुबई गए थे. एनएसए अजीत डोभाल ने एक डिटेल डोजियर तैयार किया और पीएम ने इसे दुबई हुक्मरानों के साथ शेयर किया था. इसमें टकला के बारे में काफी अहम जानकारियां थीं. यह कहा गया था कि फारुक दाऊद के तमाम फाइनेंस को ऑपरेट करता है. टकला दाऊद की फाइनेंशियल बैकबोन है. डोजियर में डॉन की 22 बेनामी संपत्तियों की लिस्ट भी सौंपी गई, जिसकी देख-रेख का जिम्मा फारुक टकला के पास था.
डोजियर में यह भी बताया गया कि कैसे डी सिंडिकेट दुबई से ऑपरेट करता है. कैसे फंड पाकिस्तान के जरिए भारत भेजा जाता है. पीएम मोदी और शेख मोहम्मद बिन रशीद की मीटिंग में सबसे बड़ी बात ये रही कि मोदी ने रशीद को दाऊद सिंडिकेट के खिलाफ एक्शन के लिए मना लिया. यह सहमति बनी कि दोनों देशों की एजेंसियां एक दूसरे से कोआर्डिनेट करेगी और इससे जुड़ी हर जानकारी साझा करेंगी. इसके बाद डोभाल इस मुहिम में जुट गए. दाऊद के ड्रग सिंडिकेट का पता लगाने से लेकर टकला को भारत लाने में करीब दो साल से ज्यादा वक्त लग गया. इस दौरान भारत लगातार दबाव बनाता रहा. यह आसान काम नहीं था. भारत ने दुबई को करीब 10 बार तमाम इंटरसेप्ट्स और सबूत दिए. एजेंसी ने कई वीडियो और फोटो भी शेयर किए. उन्हें बताया गया कि साल 1993 में मुंबई सीरियल ब्लास्ट में फारुक टकला की भी अहम भूमिका है. तब जाकर दुबई उसे डिपोर्ट करने के लिए तैयार हुआ. इसी साल 20 फरवरी को दुबई की ओर से फारुक के प्रत्यर्पण पर ग्रीन सिग्नल मिला और अगले ही दिन यानी 21 फरवरी को उसके डिपोर्ट करने संबंधी दस्तावेजों पर मुहर लग गई. कानूनी प्रक्रियाओं के चलते थोड़ा वक्त लगा और 7 मार्च को फारुक टकला को भारत लाया गया.
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