मीन संक्रांति: करदाइयां नोम्बु पर्व का होता है विशेष महत्व, सुहाग के लिए की जाती है इस दिन पूजा

तमिलनाडु व साउथ राज्यों में कई महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक त्योहार ही मीन संक्रांति का. यह त्योहार सूर्य के मीन संक्रान्ति के दिन मनाया जाता है. इस दिन करदाई नैवैद्य के रूप में बनाया जाता है. इसे करदाइयां नोम्बु भी कहा जाता है.

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मीन संक्रांति: करदाइयां नोम्बु पर्व का होता है विशेष महत्व, सुहाग के लिए की जाती है इस दिन पूजा

Aanchal Pandey

  • March 13, 2018 12:25 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. तमिलनाडु में मनाया जाने वाला मीन संक्रांति एक प्रमुख त्योहार है. यह त्योहार सूर्य के मीन संक्रान्ति के दिन मनाया जाता है. इस दिन करदाई नैवैद्य के रूप में बनाया जाता है. इसे करदाइयां नोम्बु भी कहा जाता है. दरअसल नोम्बु का तमिल में मतलब व्रत या उपवास होता है. इस पूरे दिन उपवास रखा जाता है. तमिल माह मासी के खत्म होने पर एवं ने माह पंगुनी के शुरू होने के उपलक्ष्य में इस व्रत को किया जाता है. इसी तरह जब सूर्य कुंभ राशि से मीन राशि में प्रवेश करता है तो इसे मीन संक्रांति कहते हैं.

पौराणिक महत्व : ऐसा माना जाता है की इस दिन सावित्री अपने पति सत्यवान को यमराज की गिरिह से छुड़वा कर, मृत्यु के मुख से वापस लेकर आयी थीं. इसी लिए इसे सावित्री नोम्बु भी कहा जाता है. इस दिन मंजल सरदु मुहूर्तम पर सुहागिने अपने सुहाग की रक्षा के लिए कचे सूत का पीला धागा बांधती हैं.

व्रत की विधि :
प्रातः काल शुद्ध होकर पीले वस्त्र धारण कर, महिलाएं और कन्याएं दोनो ही माता गौरी का पूजन करती हैं, एवं उन्हें करदाई नोम्बु प्रसादम चड़ाती हैं. माता गौरी एवं शिव जी का सुंदर सा मंडप बनाएं, उन्हें सुहाग का समान, षोडशओपचार के साथ विधि पूर्वक पूजन करें. मां गौरी के दिन भर कीर्तन एवं ध्यान करें. संध्या में जिस समय सूर्य कुम्भ से मीन राशि में जाएगा, उस समय व्रत को तोड़ें. उससे पहले पीला धागा बांधा जाता है फिर व्रत का पारण किया जाता है. इस मुहूर्त को मंजल सरदु मुहूर्तम भी कहते हैं. आप अपने क्षेत्र में मीन संक्रांती का समय देख कर मुहूर्त तय करें. उज्जैन को ध्यान में रख कर मंजल सरदु मुहूर्त का समय
23:56 है और उसे इस समय में बांधा जाना चाहिए.

सुहागिने अपने पति की अच्छी सेहत, लम्बी उम्र की कामना कर माता गौरी की शरण में जाती हैं, वहीं पर कन्याएं, अच्छे पति की काम कर इस व्रत को श्रद्धा पूर्वक रखती हैं. उपवास के खत्म होने पर पीले धागे बांधे जाते हैं जो की इशवार के आशीर्वाद का सूचक भी है. अगर आपके विवाह में दिक्कतें आ रही हैं एवं विवाह नहीं हो पा रहा है, या फिर घर में लड़ाई झगड़े अत्यधिक हो रहे हों, वैवाहिक जीवन अशांत हो तो आपको इस व्रत को अवश्य रखना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में सुख एवं शांति अवश्य आएगी.

पूजा शुभ मुहूर्त
व्रत का समय : प्रातः 6:36 से 23:56 तक
मंजल सरदु मुहूर्त : 23:56

~ नन्दिता पाण्डेय
ऐस्ट्रो-टैरोलोजर , अध्यात्मिक्क गुरु, एनर्जी हीलर
email : soch.345@gmail.com, +91- 9312711293
website : www.nanditapandey.biz

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