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बेटी की एक झलक के लिए 16 साल से पलकें बिछाए बैठी हैं इरोम की मां

णिपुर की 'लौह महिला' इरोम चानू शर्मिला को कौन नहीं जानता इनकी कहानी अपने आप में अनोखी है एक ऐसी महिला जिसकी पूरी जिंदगी उनके संघर्ष को बयान करती है. शर्मिला के अनशन तोड़ते ही हजारों लोग मिलने पहुंचे लेकिन उस भीड़ में इनकी 84 वर्षीय मां शाखी देवी कहीं नहीं थी.

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  • August 9, 2016 1:33 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
इंफाल. मणिपुर की ‘लौह महिला’ इरोम चानू शर्मिला को कौन नहीं जानता. इनकी कहानी एक ऐसी अनोखी महिला की है जिसकी पूरी जिंदगी उनके संघर्ष को बयान करती है. शर्मिला के अनशन तोड़ते ही हजारों लोग मिलने पहुंचे, लेकिन उस भीड़ में वह मां नहीं दिखी जिसकी बेटी की एक झलक पाने को पूरी दुनिया बेकरार है.
 
इरोम की 84 वर्षीय मां शाखी देवी कहीं उस भीड़ से अलग अपने घर की चौखट पर बेटी के इंतजार में पलकें बिछाए बैठी हैं. आज इस मां को अपनी बेटी पर गर्व भी हो रहा है. यह मां आज इस बात को लेकर दुविधा में है कि वह अपनी बेटी से हंसते हुए मिले या आंखों में आंसू लिए. लेकिन वह मां अपनी बेटी से नहीं मिलेगी क्योंकि उनका कहना है वे अपनी बेटी से तभी मिलेंगी जब अफस्पा को हटा लिया जाएगा. भले ही इसके लिए उन्हें कुछ साल और इंतजार क्यों न करना पड़ना पड़े.
 
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बता दें कि 16 साल बाद शर्मिला ने उपवास तोड़ा है. अधिकारों के लिए होने वाले आंदोलनों का चेहरा बन चुकी 44 वर्षीय शर्मिला आज स्थानीय अदालत में अपना उपवास खत्म की. सैन्य बल विशेषाधिकार कानून(अफस्पा) को खत्म करने की मांग को लेकर 16 साल से शर्मिला उपवास पर थीं.
 
शर्मिला को जीवित रखने के लिए कैदखाने में तब्दील हो चुके अस्पताल में उन्हें साल 2000 से ही नाक में ट्यूब के जरिए जबरन खाना दिया जा रहा था. गौरतलब है कि उन्होंने पिछले महीने उपवास तोड़ने की घोषणा की थी और कहा था कि वह चुनाव लड़ेंगी.
 
 
इस नई शुरूआत के समय शर्मिला कुनबा लूप के बैनर तले काम करने वाले बड़ी संख्या में उनके समर्थक और महिला कार्यकर्ता मौजूद रहेंगे. शर्मिला के परिजन और समर्थक उनसे 26 जुलाई के बाद से मिल नहीं पाए हैं. इसी दिन उन्होंने उपवास का अंत करने और अफस्पा को हटाने की लड़ाई राजनीति में आकर लड़ने के अपने निर्णय की घोषणा की थी.
 
 
शर्मिला ने 16 साल बिना खाए क्यों बिताए ?
इरोम शर्मिला के अनशन की वजह बना मणिपुर में लागू आर्म्स फोर्स स्पेशल पावर एक्ट. वो इसी एक्ट को हटाने के लिए पिछले 16 साल से अनशन कर रही थीं. उनके मुताबिक इसकी आड़ में सैन्य बल आम आदमी के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं.

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