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शान से प्लंबर का काम करने वाले शुक्ला जी कहते हैं- कोई काम छोटा नहींं होता

ब्राह्मण परिवार से आने वाले शुक्ला जी प्लंबर का काम बड़े शौक से करते हैं और कहते हैं- साहब, ये छेनी-हथौड़ी हमारी रोजी रोटी है. कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता. इंसान को अपनी औकात के हिसाब से काम करना चाहिए और जो काम मिले, उसमें खुश रहना चाहिए.

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  • August 9, 2016 10:54 am Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago

नई दिल्ली. ब्राह्मण परिवार से आने वाले शुक्ला जी प्लंबर का काम बड़े शौक से करते हैं और कहते हैं- साहब, ये छेनी-हथौड़ी हमारी रोजी रोटी है. कोई काम छोटा-बड़ा नहीं होता. इंसान को अपनी औकात के हिसाब से काम करना चाहिए और जो काम मिले, उसमें खुश रहना चाहिए.

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वरिष्ठ टीवी पत्रकार विकास मिश्रा द्वारा शेयर की गयी पोस्ट के कुछ अंश हैं. विकास मिश्रा ने फेसबुक पर यह पोस्ट शेयर की है जो कि वायरल हो रही है. उन्होने अपनी सोसायटी में प्लम्बर का काम करने वाले शुक्ला जी से सम्बंधित एक घटना का जिक्र किया है. 

उनके पोस्ट के अनुसार 60 साल के शुक्ला जी प्लम्बिंग का काम कर बेहद खुश हैं. जिसे विकास मिश्रा पूर्वी उत्तर प्रदेश से आने वाले ब्राह्मण नौजवानों के लिए एक मिसाल बताते हैं.
 
मिश्रा अपने पोस्ट में लिखते हैं कि पूर्वी उत्तर प्रदेश से, जहां ब्राह्मण परिवारों के नौजवान- ये काम मेरा नहीं है…. अब मेरे ये दिन आ गए, जो मैं ये काम करूंगा..? जैसे फिजूल के सवालों में उलझे हैं, उनके लिए शुक्ला जी आदर्श की तरह खड़े हैं. 
 
शुक्ला जी की काम के प्रति सोच के बारे में बताते हुए विकास मिश्रा आगे लिखते हैं कि बातों-बातों में शुक्ला जी बोले-साहब यही छेनी हथौड़ी हमारी रोजी रोटी है. काम कोई छोटा बड़ा नहीं होता, इंसान को अपनी औकात के हिसाब से काम तलाश करना चाहिए और जो मिले, उसमें खुश रहना चाहिए. 
 

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