वेल्लोर के धन की देवी माता महालक्ष्मी के मंदिर के निर्माण में 15 हजार किलो सोने का इस्तेमाल किया गया है. यह भव्य मंदिर 100 एकड़ से ज्यादा के एरिया में फैला हुआ है. रात के समय यहां श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक उमड़ती है क्योंकि रात के समय में रोशनी में नहाया यह स्वर्णनिर्मित मंदिर की आभा और भी अद्भुत हो जाती है.
वेल्लोरः मंदिरों के लिए प्रसिद्ध दक्षिण भारत में एक मंदिर माता महालक्ष्मी का भी है जो कि अन्य मंदिरों से अलग है. धन की देवी कही जाने वाली देवी महालक्ष्मी का यह मंदिर 15 हजार किलो सोने से बना हुआ है. मलाईकोड़ी की पहाड़ी पर बना यह भव्य मंदिर में रोजाना लाखों भक्त माता का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं. इसे दक्षिण भारत का स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है.
वेल्लोर नगर में बना यह भव्य मंदिर करीब 100 एकड़ से भी ज्यादा क्षेत्र में फैला हुआ है. मंदिर को सुबह 4 से 8 तक अभिषेक के लिए और सुबह 8 से रात 8 तक भक्त माता के दर्शन कर सकते हैं. मंदिर की सुंदरता को बढ़ाने के लिए इसके बाहरी क्षेत्र को सितारे का आकार दिया है. जिससे मंदिर की भव्यता में चार चांद लग जाते हैं.
कहा जाता है कि यह विश्व का इकलौता मंदिर है जिसके निर्माण के लिए इतने सोने का इस्तेमाल हुआ है. बता दें कि पंजाब के अमृतसर में बना विश्व प्रसिद्ध स्वर्णमंदिर में 750 किलो सोने की छतरी लगी हुई है. माता महालक्ष्मी के इस मंदिर में भक्तों के मन को मोहने वाली सभी कलाकृतियां हाथों से बनाई गई हैं. मां लक्ष्मी के दर्शन के लिए यहां रात में भक्तों की ज्यादा भीड़ होती है क्योंकि रात में मंदिर रोशनी में नहाया होता है जिसका अद्भुत नजारा किसी को भी मंत्रमुग्ध कर देता है.
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