पिछले 16 सालों में विभिन्न देशों से प्रत्यर्पण संधि के जरिए अब तक 63 अपराधियों को विदेशी सरजमीं से भारत लाया जा चुका है,जिनमें छोटा राजन और अबू सलेम जैसे गैंगस्टर से लेकर अनूप चेतिया जैसे उल्फा आतंकी तक शामिल हैं.
नई दिल्ली. मार्च 2018 के दिन मुंबई ब्लास्ट्स को पूरे पच्चीस साल हो जाएंगे. उससे ठीक पहले इस केस के एक फरार आरोपी और दाऊद इब्राहिम के करीबी फारुख टकला को भारतीय एजेंसिया दुबई से डिपोर्ट करके भारत ले आई हैं. पिछले 16 सालों में इसी प्रक्रिया के जरिए और विभिन्न देशों से प्रत्यर्पण संधि के जरिए अब तक 63 अपराधियों को विदेशी सरजमीं से भारत लाया जा चुका है,जिनमें छोटा राजन और अबू सलेम जैसे गैंगस्टर से लेकर अनूप चेतिया जैसे उल्फा आतंकी तक शामिल हैं. विजय माल्या को अगर भारत लाने में सरकार कामयाब रही तो वह ऐसा 64वां व्यक्ति होगा.
विदेश मंत्रालय के पास 2002 से पहले का प्रत्यर्पण का आंकड़ा उपलब्ध भी नहीं है. 2002 में तीन अपराधियों को यूएई से भारत प्रत्यार्पित करके लाया गया, जिनमें से दो लोग 20 फरवरी को लाए गए, जिनके नाम थे आफताब अहमत अंसारी और राजेन्द्र अनात्कत, दोनों पर ही आतंकी कार्यवाही में लिप्त होने के आरोप थे. 29 मई 2002 को यूएई से ही एक और अपराधी को भारत लाया गया, मुथप्पा राय पर संगठित अपराध में शामिल होने का आरोप था. 2003 में भी यूएई से पांच आरोपियों को भारत लाया गया, तो 2003 में ही एक को नाइजीरिया से और एक को अमेरिका से लाया गया. यूएई से जनवरी 2003 में फाइनेंशियल फ्रॉड के केस में रवीन्द्र रस्तोगी को भारत लाया गया तो 19 फरवरी को मुंबई ब्लास्ट केस में दो आरोपियों इकबाल शेख कास्कर और एजाज पठान को प्रत्यार्पित करके लाया गया तो मुंबई ब्लास्ट केस के ही एक तीसरे आरोपी को यूएई से ही 20 मार्च 2003 को लाया गया, नाम था मुस्तफा अहमद उमर दौसा. 21 अप्रैल 2003 को यूएई से ही अनिल रामचंद्रन परब को एक मर्डर केस में यूएई से भारत लाया गया.
जुलाई 2003 में के विजय करुणाकर को नाइजीरिया से भारत लाया गया,उस पर आपराधिक साजिश और चीटिंग के आरोप थे, इन्हीं आरोपों में अमेरिका से उसी साल नवंबर में चेतन एम जोगलेकर को भी भारत लाया गया. 2004 में कुल साल लोगों को अलग अलग देशों से भारत प्रत्यार्पित किया गया, जिसमें 6 जून को हांगकांग से अशोक ताहिलराम सदारनगनी को लाया गया,जिस पर फाइनेंशियल फ्रॉड के आरोप थे तो आतंक के एक केस में 12 जून को यूएई से अख्तर हुसैनी को भारत लाया गया. जुलाई में यूएई से ही सारा सहारा कॉम्पलेक्स केस में तारिक अब्दुल करीम उर्फ तारिक परवीन का प्रत्यार्पण किया गया. उसी साल अगस्त में एक मर्डर केस में आरोपी बलदेव सिंह को कनाडा से प्रत्यार्पित करके भारत लाया गया तो सितम्बर में शर्मिला शानबाग को जर्मनी से एक फाइनेंशियल फ्रॉड केस में भारत लाया गया. सितम्बर 2004 में ही पहली बार एक ब्रिटिश नागरिक एलन जॉन वाटर्स को अमेरिका से प्रत्यार्पित किया गया, जो काफी कुख्यात रहे बच्चों को यौन शोषण के मामले में मुख्य आरोपी था. दिसम्बर 2004 में यूएई से मर्डर और एक्टॉर्शन के मामले में उमर मियां बुखारी उर्फ मामू मियां को भारत लाया गया.
2005 में भी अलग अलग देशों से 8 अपराधी या आरोपियों को भारत लाया गया, जिनमें सबसे चर्चित नाम अबू सलेम और मोनिका बेदी का था. दोनों को नवम्बर 2005 में पुर्तगाल से लाया गया था, मोनिका पर पासपोर्ट फ्रॉड का केस था तो अबू सलेम पर आठ क्रिमिनल केस थे. हालांकि 2005 के ही फरवरी में एक और बड़े आतंकी को अमेरिका से प्रत्यार्पित करके लाया गया था,जिसका नाम था चरणजीत सिंह चीमा. जबकि मार्च में इकोनोमिक ऑफेंस के केस में यूएई से एम वर्दाराजालू उर्फ एमवी राजा उर्फ लुइस जालू को लाया गया था. मई के महीने में एक और ब्रिटिश नागरिक अशोक शर्मा को चीटिंग केस में बुल्गारिया से भारत लाया गया तो सैक्स एब्यूज के केस में ब्रिटिश नागरिक ग्रांट डंकन एलेक्जेंडर को तंजानियां (ब्रिटिश सरकार की इजाजत से) से लाया गया तो इसी केस में ऑस्ट्रेलियाई नागरिक वुल्फ इंग्नो वेर्नर को ऑस्ट्रेलिया से अगस्त 2005 में लाया गया. जबकि सितम्बर में यूएई से क्रिमिनल कांस्पिरेसी और किडनेपिंग के आरोप में अनिल बजू भाई धनक को लाया गया.
2006 में ऐसे पांच अपराधियों को विभिन्न आरोप में भारत लाया गया, जिनमें सबसे प्रमुख हरपाल सिंह चीमा था, जिसे टाडा एक्ट के तहत आरोपों के चलते मई में कनाडा से लाया गया. जबकि आतंकी गतिविधिय़ों में ही लिप्त होने के चलते कुलवीर सिंह कुलवीरा को अमेरिका से जून में लाया गया. जबकि जून में ही कनाडा से क्रिमिनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट के आरोप में बचन सिंह सोगी को गिरफ्तार करके लाया गया. जून में ही थाइलैंड से आपराधिक साजिश रचने के आरोप में कोसाराजू वेंकटेश्वरा राव को भारत लाया गया. जबकि गोविंद श्रीवास्तव को अक्टूबर 2006 में धोखाधडी और ठगी के आरोप में बेल्जियम से गिरफ्तार कर लाया गया था. 2007 में ऐसे चार अपराधी थे, जो प्रत्यार्पित कर यहां लाए गए. नितिन उमेश भाई याग्निक को मॉरीशस से मार्च में धोखाधड़ी के आरोप में लाया गया तो मई में एक कनाडाई नागरिक मलकीयत सिंह उर्फ मित्ता को कनाडा से ही गिरफ्तार करके लाया गया, उस पर किडनेपिंग और मर्डर का आरोप था. जर्मनी से ए एन घोष को अगस्त में बैंक फ्रॉड के एक केस में भारत लाया गया तो राजेश के मेहता को अक्टूबर में बेल्जियम से एक फ्रॉड के केस में ही भारत लाया गया.
2008 में ऐसे 4 आरोपियों को गिरफ्तार करके भारत की सरजमीं पर लाया गया, जिनमें से तीन को साउथ अफ्रीका से एक ही मर्डर केस में लाया गया, जिनके नाम थे बलजीत सिंह, जोगिन्दर सिंह और सुरेन्द्र कुमार. तीनों को 6 जून को लाया गया था. जबकि नरेन्द्र रस्तोगी को एक फाइनेंशियल फ्रॉड के केस में अमेरिका से गिरफ्तार करके जुलाई में भारत लाया गया. 2009 में भी ऐसे पांच लोगों को भारत लाया गया. जिनमें से चार को अमेरिका से और एक को थाइलैंड से लाया गया. गुरुप्रीत सिंह भुल्लर को मई में थाइलैंड से एक मर्डर केस में लाया गया. जुलाई में गुणरंजन सूरी और प्रेम सूरी को अमेरिका से आपराधिक साजिश रखने और धोखाधड़ी के केस में गिरफ्तार करके भारत लाए तो नरेन्द्र कुमार गुडगुड को अगस्त में फाइनेंशिल फ्रॉड के केस में अमेरिका से ही लाया गया. सितम्बर में अमेरिका से ही मलय सुमनचंद्र पारिख को चीटिंग केस में भारत लाया गया.
2010 में केवल एक ही व्यक्ति को प्रत्यार्पित किया गया, ओमान से विजयन गैब्रील को एक मर्डर केस में गिरफ्तार करके लाया गया तो 2011 में भी एक ही बंदे को भारत लाया गया. ये व्यक्ति इजराइली नागरिक था, और ड्रग्स, फाइनेंशियल फ्रॉड और चोरी के मामले में वांछित था. इसका नाम था यानिव बेनैम उर्फ अटाला था, और इसे पेरू से भारत लेकर आए. 2012 में भी इस तरह के दो ही केस हुए. जुलाई में अमेरिकी नागरिक सुभाष चंद्र कपूर को आपराधिक साजिश रचने के आरोप में जर्मनी से भारत लाया गया तो फैज मोहम्मद को सऊदी अरब से इसी आरोप में अक्टूबर में भारत लाया गया.
2013 में इस तरह के तीन केस हुए निखिल प्रकाश शेट्टी को यूएई से क्रिमिनल कांस्पिरेसी के आरोप में जून में गिरफ्तार कर लाया गया, अशोक धर्माप्पा देवादिका को भी यूएई से ही इसी आरोप में अगस्त में लाया गया. अगस्त मे ही यूएई से ही अब्दुल सत्तार उर्फ मंजूर को आतंकी घटना में शामिल होने के आरोप में भारत लाया गया. 2014 में भी दो ही लोगों को भारत लाया गया और दोनों ही मर्डर केस में वांछित थे, जर्मनी में यूएई से शम्मी कुमार को लाया गया तो जसकरन कलसी को सितम्बर में ऑस्ट्रेलिया से लाया गया. 2015 में पांच लोगों को भारत लाया गया,जिनमें जगतार सिंह तारा थाइलैंड से मर्डर के आरोप में जनवरी में लाया गया. जबकि बन्नाजे राजा उर्फ राजेन्द्र बन्नेजा को भी मर्डर के आरोप में अगस्त में मोरक्को से डिपोर्ट किया गया. इस साल डिपोर्ट करने वालों में सबसे खास नाम था राजेन्द सदाशिव निखल्जे का यानी छोटा राजन, जिसे इंडोनेशिया से लाया गया था. छोटा राजन पर मर्डर, किडनैपिंग, फिरौती के तमाम आरोप हैं. नवम्बर 2015 में ही बांग्लादेश से ही एक उल्फा आतंकी को भारत लाया गया, नाम था अनूप चेतिया, जिस पर भारत के खिलाफ युद्ध करने का आरोप था. नवम्बर में ही मॉरीशस से कोल्लम गंगी रेड्डी को भारत लाया गया, जिस पर हत्या की कोशिश का आरोप था. दिसम्बर में एक थाई नागरिक विली नॉरेनरवॉनिच को भारत के खिलाफ युद्ध भड़काने की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार करके भारत लाया गया.
2016 में नवम्बर तक कुल चार लोगों को अलग अलग आरोपों में विदेशी धरती से भारत लाया गया, जिनमें अब्दुल वाहित सिद्दीकी उर्फ खान को यूएई से लाया गया, उस पर वही आरोप हैं जो अनूप चेतिया पर हैं. जून में कुमार कृष्णा पिल्लई को सिंगापुर से एक मर्डर की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार करके भारत लाया गया तो समीर भाई वीनू भाई पटेल को अक्टूबर 2016 में ब्रिटेन से लाया गया, आरोप थे मर्डर और क्रिमिनल कांस्पिरेसी. 2016 नवम्बर में बांग्लादेश से मर्डर के आरोप में अब्दुल रऊफ मर्चेंट को भी लाया गया था. इस साल फारुख टकला ऐसा पहला अपराधी है जिसे सरकारी एजेंसियां तब भारत लाई हैं, जब उसके अपराध को पूरे 25 साल होने जा रहे हैं. हालांकि इसी अवधि में यानी 2002 से अब तक भारत भी अलग अलग देशों के 45 अपराधियों को उन देशों में भेज चुका है.