संघर्ष: हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े फनकार मोहम्मद रफी की कहानी

हिंदी सिनेमा के इतिहास में जब भी गानों का जिक्र होगा स्वर्णिम अक्षरों में गायक मोहम्मद रफी को याद किया जाएगा. एक ऐसा फनकार जिसे आज भी लोग उनके गानों के माध्यम से याद करते हैं.

Advertisement
संघर्ष: हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े फनकार मोहम्मद रफी की कहानी

Admin

  • July 31, 2016 6:24 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 years ago
नई दिल्ली. हिंदी सिनेमा के इतिहास में जब भी गानों का जिक्र होगा स्वर्णिम अक्षरों में गायक मोहम्मद रफी को याद किया जाएगा. एक ऐसा फनकार जिसे आज भी लोग उनके गानों के माध्यम से याद करते हैं. चाहे नीचे के सुर हो या ऊपर वाले गीत, मोहम्मद रफी को हर तरह के गीत गाने में महारथ हासिल थी. 
 
इनख़बर से जुड़ें | एंड्रॉएड ऐप्प | फेसबुक | ट्विटर
 
हिंदी के अलावा असामी, कोंकणी, भोजपुरी, ओड़िया, पंजाबी, बंगाली, मराठी, सिंधी, कन्नड़, गुजराती, तेलुगू, माघी, मैथिली, उर्दू, के साथ साथ इंग्लिश, फारसी, अरबी और डच भाषाओं में भी मोहम्मद रफी ने गीत गाए हैं, आइये जानते हैं मोहम्मद रफी साहब के बारे में कुछ खास बातें. मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को अमृतसर (पंजाब) में हुआ था. एक वक्त के बाद रफी साहब के पिता अपने परिवार के साथ लाहौर चले गए थे.
 
Stay Connected with InKhabar | Android App | Facebook | Twitter
 
मोहम्मद रफी का निक नेम ‘फीको’ था और बचपन से ही राह चलते फकीरों को सुनते हुए रफी साहब ने गाना शुरू कर दिया था. मोहम्मद रफी ने उस्ताद अब्दुल वाहिद खान, पंडित जीवन लाल मट्टू और फिरोज निजामी से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली थी.
 
 

Tags

Advertisement