आरटीआई कार्यकर्ता मंसूर दरवेश के एक सवाल के जवाब में महाराष्ट्र सरकार ने चौंकाने वाला जवाब देते हुए कहा है कि सलमान खान के हिट एंड रन केस में कितना खर्चा हुआ है इसकी जानकारी देना संभव नहीं है. सरकार का कहना है कि उस मुकदमे से जुड़ी फाइल मंत्रालय में लगी एक आग में खाक हो गई है.
मुंबई. आरटीआई कार्यकर्ता मंसूर दरवेश के एक सवाल के जवाब में महाराष्ट्र सरकार ने चौंकाने वाला जवाब देते हुए कहा है कि सलमान खान के हिट एंड रन केस में कितना खर्चा हुआ है इसकी जानकारी देना संभव नहीं है. सरकार का कहना है कि उस मुकदमे से जुड़ी फाइल मंत्रालय में लगी एक आग में खाक हो गई है.
आरटीआई कार्यकर्ता मंसूर दरवेश ने बताया कि 6 मई को सलमान खान को सजा सुनाए जाने के बाद 7 मई को उन्होंने राज्य सरकार के गृह विभाग और विधि विभाग से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी कि इस पूरे मुकदमे के लिए कितने वकील, सॉलिसिटर और कर्मचारी लगाए गए थे? उन पर कुल कितने रुपये खर्च हुए. जब जवाब आया तो मंसूर दरवेश दंग रह गए. गृह विभाग ने जवाब दिया है कि 21 जून, 2012 के दिन मंत्रालय में लगी आग में कई फाइलें जल गई थीं, जिसमें सलमान हिट एंड रन केस की फाइल भी थी, इसलिए उनके पास खर्च का कोई हिसाब नहीं है.
वहीं विधि विभाग का कहना है कि उनके पास सिर्फ विशेष सरकारी वकील प्रदीप घरत की नियुक्ति की जानकारी है। घरत को हर सुनवाई के लिए 6,000 रुपये दिए गए, लेकिन कुल कितने रुपये दिए गए इसका हिसाब उनके पास भी नहीं है. सलमान खान का हिट एंड रन मुकदमा 13 साल पुराना है। 28 सितंबर, 2002 को सलमान खान ने कथित तौर पर शराब के नशे में गाड़ी चलाते हुए बांद्रा के फुटपाथ पर अपनी कार चढ़ा दी थी, जिससे फुटपाथ पर सो रहे एक मजदूर की मौत हो गई थी और 4 जख्मी हो गए थे.
बांद्रा पुलिस स्टेशन में मुकदमा दर्ज होने के बाद बांद्रा की मजिस्ट्रेट अदालत से लेकर सेशन कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक मामला गया था. आरटीआई कार्यकर्ता मंसूर के मुताबिक 13 साल बाद लंबी कानूनी लड़ाई के बाद मुकदमा अंजाम तक पहुंच पाया, इसलिए जाहिर है कि इसमें सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये खर्च हुए होगें लेकिन वो ये जानकर हैरान हैं कि राज्य सरकार के पास कोई जानकारी ही नहीं है.
IANS से भी इनपुट