गांगुली ने अपनी आत्मकथा ‘ए सेंचुरी इज नॉट इनफ’ में अपने क्रिकेटिंग जीवन के लम्हों को परत दर परत खोला है. इसी क्रम में उन्होंने महेंद्र सिंह धोनी की तारीफ करते हुए लिखा है कि यह खिलाड़ी दबाव से लड़ना जानता था. अगर यह खिलाड़ी हमारे साथ होता तो शायद 2003 विश्व कप हमारे पास होता.
कोलकाताः भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को आधुनिक भारतीय टीम का चाणक्य माना जाता है. कहा जाता है कि अगर अजहरूद्दीन ने भारत को जीतना सिखाया तो गांगुली ने विदेशों में भारत को सफलताएं दिलवानी शुरू की. गांगुली आजकल अपने आत्मकथा ‘ए सेंचुरी इज नॉट इनफ’ के कारण चर्चा में हैं. इसमें उन्होंने भारतीय ड्रेसिंग रूम की कई अनकहीं-अनसुनी बातों से पर्दा उठाया है. इसमें उन्होंने अपने और ग्रेग चैपल के संबंधों के बारें में कई राज खोले हैं और टीम के अन्य खिलाड़ियों के बारें में भी काफी कुछ लिखा है.
गांगुली ने अपने आत्मकथा में कैप्टन कूल कहे जाने वाले महेंद्र सिह धोनी के बारे में भी एक बहुत ही सुंदर और खास बात लिखी है. गांगुली ने इच्छा जताई है कि काश महेंद्र सिंह धोनी विश्व कप 2003 में भारतीय टीम में होते तो शायद फाइनल मैच का परिणाम कुछ और होता. गांगुली ने लिखा है कि अपने कप्तानी के कार्यकाल के दौरान मैं घरेलू क्रिकेट के ऐसे खिलाड़ियों पर नजर रखता था जो दबाव के क्षणों में भी शांत रह सकें और अपनी योग्यता से मैच की तस्वीर बदल सकें. धोनी भी ऐसे ही खिलाडियों में से थे लेकिन उन पर मेरा ध्यान 2004 में ही जा सका. गांगुली ने इच्छा जताई कि काश वो हमारे साथ 2003 विश्व कप में होते.
गांगुली ने लिखा है कि मैं पहले ही दिन से धोनी से बेहद प्रभावित हुआ था. सौरव गांगुली ने आगे लिखा, मुझे बताया गया कि जब हम वर्ष 2003 के वर्ल्डकप के फाइनल में खेल रहे थे, उस समय भी धोनी भारतीय रेलवे में टिकट कलेक्टर (टीसी) थे. यह मेरे लिए अविश्वसनीय था. गांगुली ने आगे लिखा कि मुझे खुशी है कि जो मैंने धोनी पर अनुमान लगाया था वह बिल्कुल सही साबित हुआ. धोनी ने आज अपने आपको एक बड़े खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है. आपको बता दें कि धोनी को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लाने वाले सौरव गांगुली ने अपना अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच नवंबर 2008 में धोनी की कप्तानी में ही खेला था. इस मैच के आखिरी क्षणों में दादा को टीम की कमान संभालने की जिम्मेदारी सौंप दी थी. पहली बार दादा ने इससे मना कर दिया था लेकिन जब धोनी ने बार-बार अनुरोध किया तो दादा ने टीम की कमान संभाली. इस बारे में अपनी आत्मकथा में गांगुली ने लिखा है कि मैंने जिम्मेदारी तो ले ली, लेकिन उस समय मैं बेहद दबाव में था. इसलिए मैंने थोड़ी देर बाद धोनी को कप्तानी वापस सौंप दी. देखिए गांगुली के अंतिम मैच के वीडियो-
https://www.youtube.com/watch?v=XWhP389asfo
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जब नियम तोड़ते हुए आधी रात को लाहौर में कबाब खाने निकल पड़े थे सौरव गांगुली
https://www.youtube.com/watch?v=dbx4kCZGRLw
https://www.youtube.com/watch?v=JO-REgRedZE